बारिश भी नहीं बचा सकी भारत की करारी हार
२२ जुलाई २०१०गॉल टेस्ट में भारत की हार यूं तो चौथे दिन ही तय हो गई थी. लेकिन ईशांत शर्मा के संघर्ष ने भारत को पारी की शर्मनाक हार से बचा लिया. पांचवें दिन टीम इंडिया के कप्तान धोनी के आउट होते ही लगा कि बस भारत का खेल खत्म हुआ. लेकिन तभी ईशांत शर्मा ने क्रीज पर पांव रखे. पुछल्ले बल्लेबाज माने जाने वाले ईशांत ने मलिंगा, मुरलीधरन और हेराथ की तिकड़ी को तरसा कर रख दिया.
ईशांत भारतीय पारी के अंत तक क्रीज पर डटे रहे. उन्होंने 106 गेंदें खेली, यानी अकेले करीब 18 ओवर खेले. इशांत शर्मा ने बड़े बड़े बल्लेबाजों को बताया कि दबाव में बैटिंग कैसे की जाती है. विकेटों के पतझड़ के बीच इशांत ने एक छोर ऐसा थामा कि श्रीलंकाई गेंदबाज भन्नाने लगे. उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण के साथ मिल कर नौवें विकेट की साझीदारी में 68 रन जोड़ दिए. लक्ष्मण के साथ बड़ी आसानी से बल्लेबाजी करते दिखे इशांत ने पहला सत्र पूरा कर दिया और दूसरे सत्र में भी अच्छा खासा समय निकाल दिया. लेकिन तभी दुर्भाग्य से लक्ष्मण रन आउट हो गए और यह जोड़ी टूट गई. इशांत 31 रन बना कर नॉट आउट रहे.
इससे पहले भारत ने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और लक्ष्मण के साथ पांचवें दिन का खेल शुरू किया और धोनी फौरन आउट हो गए. इसके बाद हरभजन सिंह भी आए, गए. धोनी ने चार और भज्जी ने आठ रन बनाए. भारत के सात विकेट 197 पर गिर चुके थे और पारी की हार भी दिख रही थी. लेकिन पहला टेस्ट खेल रहे अभिमन्यु मिथुन ने इसके बाद दुनिया के पहले नंबर की टेस्ट टीम की लाज रखते हुए निचले क्रम में 25 महत्वपूर्ण रन जोड़े.
लेकिन तयशुदा हार पर मुहर आखिर लग ही गई. मिथुन का विकेट गिरते ही भारतीय पारी 338 पर सिमट गई. पारी की हार टालने के बाद टीम इंडिया ने श्रीलंका के सामने जीत के लिए 95 रन का लक्ष्य रखा.
आसान से माने जाने वाले इस लक्ष्य का पीछा तिलकरत्ने दिलशान और पहली पारी के शतकवीर परनाविताना ने तूफानी अंदाज में किया. मुरली की विदाई को भव्य बनाने के लिए दिलशान ने बल्ले से फुलझड़ियां छोड़ी. उन्होंने 47 गेदों पर 68 रन ठोंककर भारत को हार, टीम को जीत और मुरली शानदार विदाई दी.
रिपोर्टः एजेंसियां/ओ सिंह
संपादनः आभा एम