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बापू के घर में ओबामा

६ नवम्बर २०१०

मुंबई में बापू का घर रहे मणि भवन में पहुंच कर राष्ट्रपति ओबामा ने खुद में उत्साह और उम्मीदों के एक नए उफान का अनुभव किया. गांधी को अपनी प्रेरणा मानने वाले ओबामा ने कहा बापू भारत नहीं दुनिया के नेता.

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तस्वीर: AP

करीब आधी सदी पहले मानवाधिकार के लिए संघर्ष करने वाले मार्टिन लूथर किंग बापू की यादों को अपनी सांसों में भरने के लिए मुंबई के मणि भवन आए थे. आज जब ओबामा यहां आए तो उन्हें भी यही महसूस हुआ कि दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए काम करने का एक नया जज्बा उनमें भर गया हो. मणि भवन की लाइब्रेरी में बापू की कानून से जुड़ी किताबों पर नजर डालते या फिर बापू के चरखा के पास से गुजरते ओबामा ने हर लम्हा खुद को बापू के और करीब पहुंचता महसूस किया. ये वो जगह है जहां 1917 से 1934 के बीच बापू जब भी मुंबई आए यहीं रहे.

मणि भवन में ओबामा ने कहा, "मैं उम्मीदों और उत्साह से भर गया हूं. मेरी खुशकिस्मती है कि मैं महात्मा गांधी से जुड़ी इस जगह पर आया." विजिटर बुक पर दस्तखत करते ओबामा ने लिखा, "गांधी सिर्फ भारत के नहीं पूरी दुनिया के हैं." नोबेल पुरस्कार लेने के बाद दिए अपने भाषण में भी ओबामा ने बापू का जिक्र करते हुए उन्हें अपनी प्रेरणा बताया था. राष्ट्रपति ओबामा ने अपने दफ्तर ओवल हाउस में बापू की एक तस्वीर भी फ्रेम में जड़ा कर लगा रखी है.

मणि भवन में लगी महात्मा गांधी की कांसे की विशाल मूर्ति के पास ओबामा कुछ देर खड़े होकर यू ही सोचते रहे कि लगा जैसे बापू से गुपचुप कुछ बात कर रहे हों. इसके बाद उन्हें विजिटर बुक में मार्टिन लूथर किंग की दस्तखत भी दिखाई पड़ी जिस पर 1959 की तारीख पड़ी थी. किताब देखते ही ओबामा के मुंह से बोल फूटे, "कितनी महान किताब है." ओबामा ने लाइब्रेरी से निकलते वक्त मणि भवन के कर्मचारियों से बात की और उनसे वादा किया कि वो जल्दी ही यहां वापस आएंगे. ओबामा ने कहा कि वो अपने साथ अपनी बेटियों मालिया और साशा को भी साथ लाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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