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बातचीत पर एकमत, विवादित कानून पर मतभेद

२३ सितम्बर २०१०

बीजेपी, वामपंथी पार्टियां और एलजेपी जैसे दलों ने एक सुर में कहा है कि कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए, लेकिन राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून हटाने पर उनके बीच मतभेद बने हुए हैं.

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बीजेपी कानून हटाने के हक में नहींतस्वीर: UNI

बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों को देश की बाकी जनता से जोड़ना होगा. इसके लिए बातचीत ही रास्ता है. वह कहते हैं, "ये लोग भी भारतीय है. वह भारत की जमीन है. तो सरकार को ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे स्थानीय लोगों को लगे कि वे अलग थलग नहीं हैं." उन्होंने आरोप लगाया कि यह यूपीए सरकार की ही नाकामी है जो आज घाटी में अलगाववादी नेताओं का असर बढ़ता जा रहा है.

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सीपीएम नेता सीताराम येचुरीतस्वीर: UNI

जेटली कहते हैं, "अलग देश के सपने को दूर करना होगा. अलगाववाद को खत्म करना होगा और इस राज्य को भारतीय संविधान के मुताबिक काम करना होगा." जेटली उस सर्वदलीय शिष्टमंडल का हिस्सा रहे हैं जो बुधवार को ही घाटी के दौरे से लौटा.

जेटली की राय के मुताबिक ही वामपंथियों पार्टियों ने भी कश्मीर के सभी वर्गों के साथ बातचीत की हिमायत की है ताकि भारतीय संविधान के दायरे में रहते हुए कश्मीर समस्या का समाधान तलाशा जा सके.

सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी कहते हैं, "हम संविधान के दायरे में रह कर सभी वर्गों के साथ मिल कर काम करने को तैयार हैं. बातचीत से सब मुद्दे हल हो सकते हैं." अलगाववादियों की राय से अलग येचुरी ने कहा कि संविधान के दायरे में रह कर बातचीत से ही कश्मीर समस्या का हल तलाशा जा सकता है.

उधर सीपीआई के वरिष्ठ नेता गुरुदास दासगुप्ता ने सरकार से कहा है कि तनाव को दूर करके सामान्य हालात बहाल करने होंगे. बातचीत शुरू करने के साथ ही वह सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को कुछ जगह से हटाने का सुझाव देते हैं. साथ ही जिन राजनीतिक कैदियों पर गंभीर आरोप नहीं हैं, उन्हें रिहा किया जाए. सीपीआई नेता केंद्रीय स्तर पर कश्मीर कमेटी बनाने और राज्य को आर्थिक पैकेज देने की भी बात करते हैं ताकि राज्य के सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों को फिर से खड़ा किया जा सके. अलगाववादी नेताओं से मुलाकात में दासगुप्ता ने आजादी की मांग को सिरे खारिज करते हुए कहा कि बाकी सभी मुद्दे बातचीत से हल हो सकते हैं.

बीजेपी से अलग वामपंथियों का मानना है कि अलगाववादियों से भी बातचीत होनी चाहिए. दासगुप्ता कहते हैं, "उनके साथ बात करने में क्या बुराई है? क्या हमें माओवादियों से बातचीत नहीं करनी चाहिए? क्या भारत को पाकिस्तान से बातचीत नहीं करनी चाहिए?" उन्होंने बताया कि कुछ लोग आजादी और कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की बात करते हैं तो कुछ चाहते हैं कि कश्मीर भारत का ही हिस्सा रहे.

इस बीच एलजेपी के मुखिया रामविलास पासवान ने अलगाववादियों समेत कश्मीर के सभी लोगों से बातचीत का समर्थन किया है. सर्वदलीय शिष्टमंडल के सदस्य के तौर पर घाटी का दौरा करने वाले पासवान ने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर को ज्यादा से ज्यादा स्वायत्तता देने के बारे में विचार करना चाहिए. उनके मुताबिक, "मैं प्रधानमंत्री से अपील करता हूं कि सर्वदलीय शिष्टमंडल के निष्कर्षों के आधार पर एक समय आधारित कार्ययोजना तैयार करने की पहल करें ताकि तकलीफें झेल रहे लोगों को राहत दी सके और उनकी समस्याओं को सुना जा सके."

वैसे राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने या इसे नरम बनाने पर राजनीतिक दलों में मतभेद बने हुए हैं. राज्य की विपक्षी पीडीपी पार्टी की तरफ से इस कानून को हटाने की मांग को जेटली खारिज करते हैं. उनका कहना है कि कानून हट जाने के बाद प्रदर्शनकारी और घुसपैठिए भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाएंगे. वहीं वामपंथी कुछ इलाकों से इस विवादित कानून को हटाने के हक में हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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