बांग्लादेश बंद में तोड़ फोड़
१३ अगस्त २०१३देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी ने चुनाव आयोग के उस फैसले का विरोध किया है, जिसके तहत इसके रजिस्ट्रेशन को खारिज कर दिया गया है. हाई कोर्ट के एक पैनल ने एक अगस्त को कहा कि जमाते इस्लामी पार्टी के नियम संविधान की धर्मनिरपेक्षता के नियमों का उल्लंघन करते हैं.
अदालत ने राय दी कि यह शरीया लागू करना चाहती है, जो धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. इस फैसले के बाद आने वाले चुनावों में इसका हिस्सा ले पाना मुश्किल हो सकता है. मंगलवार को पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं, जिसमें कम से कम 20 लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारी मेहरपुर जिले में एक सड़क को जाम करने की कोशिश कर रहे थे.
बांग्लादेश के टेलीविजन चैनल ईटीवी का कहना है कि ढाका और देश के दूसरे हिस्सों में देसी बम फटने की वजह से भी 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
पुलिस अधिकारी मसूदुर रहमान का कहना है, "दोनों जगहों पर उन्होंने हम पर पत्थरबाजी की और लाठियों से हम पर हमला किया. इसकी वजह से 19 पुलिसवाले घायल हो गए. इसके बाद हमें रबर की गोलियां चलानी पड़ीं." न्यूयॉर्क के संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के आंकड़ों के मुताबिक इस साल की हिंसा में बांग्लादेश में अब तक 150 लोगों की जान जा चुकी है. बंद के दौरान बांग्लादेश में ज्यादातर जगहों पर स्कूल और औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जबकि सड़कों से गाड़ियां भी गायब रहीं.
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने जब सड़क जाम कर दी, तो उन्हें हटाने की कोशिश की गई. ढाका के मेट्रोपोलिटन पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रदर्शन में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जमाते इस्लामी का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की याचिका 2009 में दाखिल की गई थी.
जमाते इस्लामी ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान का साथ दिया था और वह देश के अलग होने के खिलाफ थी. बांग्लादेश की एक अदालत ने पार्टी के पांच नेताओं को मौत या आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. उन पर मानवता के खिलाफ अपराध के मामले साबित हुए हैं.
इसके अलावा पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष मतिउर रहमान निजामी के खिलाफ अभी भी मामले चल रहे हैं.
एजेए/एमजे (एएफपी, एपी, डीपीए)