बांग्लादेश की हड़ताल हिंसा से लाल
२८ अक्टूबर २०१३पुलिस का कहना है कि पश्चिमी शहर हारिना कुंडु में हुए बम धमाके में एक स्थानीय विपक्षी नेता की मौत हो गई है. इस बीच दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के हजारों कार्यकर्ताओं के बीच कई जगह सड़कों पर झड़प होने की खबर मिल रही है. स्थानीय पुलिस प्रमुख मोहिबुल इस्लाम ने समाचार एजेंसी को बताया, "उन्हें निशाना बना कर ही बम फेंका गया. अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई." पश्चिमी शहर जॉयपुरहाट में विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और सत्ताधारी अवामी लीग के करीब 3000 कार्यकर्ताओं के बीच जबर्दस्त घमासान मचा है. पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे हैं.
देश भर में प्रदर्शन
दो और लोगों की मौत अलग अलग जगहों पर हुई है. इसके साथ ही ताजा राजनीतिक उथल पुथल में मरने वालों की तादाद 15 तक जा पहुंची है. शुक्रवार से ढाका में शुरू हुआ प्रदर्शन बड़ी तेजी के साथ देश के दूसरे इलाकों में फैलता जा रहा है. बीएनपी और इसके इस्लामी सहयोगी शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोगों के साथ प्रदर्शन करने निकले और साथ ही रविवार से तीन दिन की हड़ताल बुलाई है. पार्टी चाहती है कि प्रधानमंत्री इस्तीफा दे कर चुनावों को कार्यवाहक शासन के तहत कराए जाने का रास्ता साफ करें. अगले साल जनवरी में बांग्लादेश में आम चुनाव होना है.
स्थानीय टीवी चैनलों पर दिखाई जा रही तस्वीरों में देश भर के दर्जनों शहरों में हिंसक झड़पें नजर आ रही हैं. हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल कर हाईवे जाम कर रहे हैं और देसी बमों से धमाके करते हुए सत्ताधारी पार्टी के दफ्तरों में आग लगा रहे हैं. स्कूल, दुकानें और रोजमर्रा के दूसरे कामकाज पूरी तरह से बंद हैं. हजारों की तादाद में अतिरिक्त पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है.
राजधानी ढाका में कम से कम 10 छोटे बम शुक्रवार से अब तक फेंके गए हैं. यह बम मंत्रियों के आवास, सुप्रीम कोर्ट के एक जज के घर और युद्ध अपराध मामलों के अभियोजक के घर पर फेंके गए. हालांकि इन बम धमाकों में किसी के घायल होने की खबर नहीं है. ढाका के पुलिस प्रवक्ता मसदुर रहमान का कहना है, "हमारा ख्याल है कि यह उन्हीं लोगों का काम है जिन्होंने हड़ताल बुलाई है." पुलिस ने बताया कि बीएनपी कार्यकर्ताओं ने सोमवार को सत्ताधारी पार्टी के एक समर्थक का गला दबा कर उसे मार दिया. इसके अलावा तटवर्ती शहर सतकानिया में प्रदर्शनकारियों के फेंके पत्थर की चोट खाकर एक ट्रक ड्राईवर की मौत हो गई.
उधर बीएनपी के उप प्रमुख फखरुल इस्लाम आलमगीर ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके समर्थकों पर गोलियां चलाई और तनाव को बढ़ा दिया. उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल इस पर बातचीत करने के लिए तैयार है कि चुनाव किसकी देखरेख में होंगे.
बेगमों की बातचीत
शनिवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना और विपक्षी नेता बेगम खालिदा जिया के बीच हड़ताल को रोकने के लिए आखिरी लम्हे में की गई बातचीत भी नाकाम रही. बांग्लादेश की प्रतिद्वंद्वी बेगमों के बीच कम से कम एक दशक के बाद आपस में बातचीत हुई है, भले ही फोन पर ही सही. हालांकि 40 मिनट की इस बातचीत से संकट का कोई हल नहीं निकला.
दो बार देश की प्रधानमंत्री रह चुकीं खालिदा जिया ने सरकार को "गैरकानूनी" कहा है. उन्होंने इस आरोप के लिए उस प्रावधान का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि चुनाव से तीन महीने पहले एक निष्पक्ष सरकार का गठन करना होता है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि यह व्यवस्था असंवैधानिक है और इसके बदले उन्होंने अपने नेतृत्व में गठित सर्वदलीय सरकार की देखरेख में जनवरी के चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा. बीएनपी ने उनका प्रस्ताव खारिज करते हुए कहा है कि इससे उन्हें चुनावों में गड़बड़ी करने का मौका मिल जाएगा.
इससे पहले दोनों राजनीतिक दलों के बीच 2006 में सड़कों पर संघर्ष हुआ था. दर्जनों लोग मारे गए थे और कई हफ्तों तक देश में कामकाज ठप्प रहा. आखिरकार सेना को दखल देना पड़ा और चुनाव रद्द कर सेना समर्थित कार्यवाहक सरकार बनाई गई. बांग्लादेश का इतिहास राजनीतिक हिंसा का गवाह रहा है, लेकिन 1971 में आजादी की लड़ाई के बाद से मौजूदा साल सबसे ज्यादा खूनखराबे से भरा रहा. जनवरी से लेकर अब तक के संघर्षों में 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
एनआर/एमजे (एएफपी)