बल्लेबाजों की जीत में गेंदबाजों की हार
२१ अक्टूबर २०१०45 ओवर में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर तीन विकेट पर 205 रन था. कमेंटेटर अंदाजा लगा रहे थे कि क्या कंगारू टीम 250 रन भी बना सकेगी. टीम इंडिया की राह बेहद आसान लग रही थी. लेकिन इसके बाद टीम की कमजोर रणनीति और गेंदबाजी की बखिया उधड़ गई.
आखिरी 30 गेंदों में कैमरन व्हाइट और क्लार्क की जोड़ी ने 84 रन धुन दिए. व्हाइट ने नए गेंदबाज विनय कुमार को कतई नहीं बख्शा. उनके आखिरी दो ओवरों में 39 रन पड़े. मुनाफ पटेल जैसे गेंदबाज को बाहर कर टीम में आए विनय बिल्कुल प्रभावित नहीं कर सके. उनकी इस कदर धुनाई हुई कि विनय की लाइन लेंथ का तो अता पता ही नहीं चला.
कप्तान धोनी की रणनीति आखिरी पांच ओवरों में ऐसी बैक फायर हुई कि 24 गेंदों में अकेले व्हाइट ने 70 रन ठोक डाले. किफायती गेंदबाजी करने वाले रविचंद्रन अश्विन का एक ओवर बाकी रहा. धोनी ने उनसे पूरे ओवर क्यों नहीं डलवाए, यह बात भी कम ही समझ में आई.
आठ ओवर में दो विकेट खोने के बाद ऑस्ट्रेलिया से इतने जबरदस्त प्रदर्शन की उम्मीद किसी को नहीं थी. 16 रन पर दो झटके खाने के बाद कंगारू टीम ने तीसरे विकेट के लिए 28 ओवर की साझेदारी निभाई. बढ़िया शुरुआत के बावजूद भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया को कसने में यहां भी नाकाम रही.
खैर अंत भला तो सब भला के नाम पर इन बातों की चर्चा मैच के बाद नहीं हुई. लेकिन अंदाजा लग गया कि गेंदबाजी के नाम पर टीम इंडिया की रिजर्व बेंच कितनी कमजोर है. पिछले एक साल में कई तेज गेंदबाजों को मौके दिए गए हैं, लेकिन ऐसा कोई चेहरा नहीं मिला, जो प्रभावित कर सके.
वहीं टीम से बाहर इरफान पठान को क्यों मौके मिलने बंद हो गए हैं, यह बात भी कम ही समझ में आ रही है. आंखों में वर्ल्ड कप का सपना देखने वाले भारत को नंबर सात के लिए एक ऑलराउंडर की तलाश है और विश्व कप शुरू होने में सिर्फ पांच महीने बचे हैं. वर्ल्ड कप में भारत की राह आसान नहीं होगी. श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमें उसे कड़ी टक्कर देंगी.
रिपोर्ट: ओ सिंह
संपादन: वी कुमार