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बलात्कार की धमकी पर भड़का सोशल मीडिया

३१ अगस्त २०१५

बागपत की बहनों के बलात्कार का खाप पंचायत का कथित आदेश अंतरराष्ट्रीय आक्रोश का कारण बन रहा है. इंटरनेट पर बढ़ चढ़ कर मामले की निंदा हो रही हैं और सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

बात अब सिर्फ भारतीय मीडिया तक सीमित नहीं है, ब्रिटेन के सांसदों और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा सवाल उठाए जाने के अलावा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया भी इस मामले की चर्चा कर रहा है. एमनेस्टी इंटरनेशनल लोगों से एक ऑनलाइन पेटिशन पर हस्ताक्षर करा भारत सरकार पर दबाव बना रहा है कि मामले की उचित जांच हो और लड़कियों को संरक्षण मुहैया कराया जाए.

मामला बागपत का है जहां एक दलित लड़के के एक विवाहित जाट महिला के साथ फरार हो जाने के बाद खाप पंचायत ने कथित तौर पर फैसला सुनाया कि लड़के की दो बहनों के मुंह में कालिख पोत उन्हें बिना कपड़ों के घुमाया जाए और उनके साथ बलात्कार हो.

सुप्रीम कोर्ट में संरक्षण के लिए लड़कियों की याचिका के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने लड़कियों के गांव में पीएसी और पुलिस तैनात कर दी है. कुछ लोगों ने अपने ट्वीट में नरेंद्र मोदी को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाने की कोशिश भी की है.

ब्रिटिश संसद की विदेशी मामलों की समिति के कंजरवेटिव सांसद नदीम जहावी ने इस आदेश की निंदा की है, साथ ही ब्रिटिश विदेश कार्यालय से अनुरोध किया है कि वह भारत सरकार से इस बारे में बात करे.

खाप पंचायत द्वारा मानव अधिकारों का हनन करने वाले फैसले पहले भी आते रहे हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा है. कभी परिवार के सम्मान के नाम पर प्रेमियों की हत्या तो कभी दलितों के खिलाफ भेदभाव को उजागर करते अन्य फैसले. खाप पंचायत को गांव के बुजुर्गों के नाम पर अपनी मनमानी करने वाली समिति के रूप में देखा जाता है. इस तरह की सजा किसी भी समाज में कैसे सही हो सकते हैं, इस तरह के कई सवाल भी लोग उठा रहे हैं और वे सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.

हालांकि स्थानीय पुलिस प्रमुख का कहना है कि उन्हें अपनी जांच में इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं. स्थानीय लोगों ने भी मामले में चुप्पी साधी हुई है. इंटरनेट पर सवाल उठ रहे हैं कि बलात्कार जैसी घटना को अंजाम देने वाले ऐसा करके क्या अपना पुरुषत्व साबित करने की कोशिश करते हैं या असल में इसे उनकी कायरता समझा जाए?