बर्बाद होता टैक्स का पैसा
जर्मनी के लोगों का मानना है कि सरकार उनके टैक्स के पैसे को खूब बर्बाद करती है. करदाता संघ की मानें तो फिजूल की चीजों में 20 अरब यूरो खर्च किए जा चुके हैं. जानिए इस साल कहां कहां पैसे बर्बाद हुए.
मुर्गों की खातिर
देश का कृषि मंत्रालय 2017 तक करीब पांच लाख यूरो इसलिए खर्चेगा ताकि मुर्गों के वीर्य को सुरक्षित रखा जा सके. इसे जमा कर रखा जाएगा ताकि भविष्य में भी मुर्गों की अलग अलग नस्लों को बचाया जा सके. मुर्गीपालकों का संघ यह काम फ्रीडरिष लोएफलर इंस्टीट्यूट के साथ मिल कर करेगा.
जॉर्ज क्लूनी पर खर्चा
जर्मनी का करदाता संघ हर साल सूची जारी करती है जिसमें बताया जाता है कि सरकार कहां पैसा बचा सकती थी. जॉर्ज क्लूनी की इस साल रिलीज हुई फिल्म 'मॉन्यूमेंट्स मेन' भी इस सूची में शामिल है. इस पर संघीय फिल्म फंड ने 85 लाख यूरो खर्च किए, इसलिए क्योंकि फिल्म नाजी जर्मनी काल पर आधारित है.
महंगा पड़ा नाचना
फिल्मों के साथ सरकार का नाच गाने से लगाव भी नजर आ रहा है. नए तरह के डांस को बढ़ावा देने के लिए 35 लाख यूरो खर्च किए गए, जो लोगों की आंखों में खटक रहे हैं. लोगों का कहना है कि इस तरह के काम को प्राइवेट डांस स्कूलों तक ही सीमित रखना चाहिए.
बुजुर्गों को बचाओ
जर्मन शिक्षा मंत्रालय चीन के बुजुर्गों की देखभाल के लिए 12 लाख यूरो खर्च करने जा रहा है. जर्मनी चीन के मेडिकल स्कूलों और अस्पातालों के लिए ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम बना रहा है जिनकी मदद से वहां के लोगों को बुजुर्गों की देखभाल करना सिखाया जा सके.
घर पर रहने का खर्च
जर्मनी में माता पिता के लिए काफी अच्छे कानून हैं. नवजात बच्चों की देखभाल के लिए कामकाजी माता पिता को दफ्तर से छुट्टी तो मिलती है, साथ में सरकारी भत्ता भी मिलता है. इस साल इस योजना पर सरकार के 51.5 करोड़ यूरो खर्च होंगे. लेकिन संघ का कहना है कि इससे गरीबों या कम वेतन वालों को कोई लाभ नहीं पहुंच रहा, बल्कि वही लोग फायदा उठा रहे हैं जिनके पास पहले से ही खूब पैसा है.
महंगी सैर
जर्मनी के लोग घूमने फिरने के बहुत शौकीन होते हैं. रिटायर हो जाने के बाद तो इसके लिए और भी वक्त मिल जाता है. सरकार एक ऐसी वेबसाइट तैयार कर रही है जिस पर रिटायर हो चुके लोगों को घूमने फिरने के टिप्स दिए जाएंगे और समझाया जाएगा कि गाड़ी से चलने की जगह पैदल जाने के कितने फायदे हैं. इस वेबसाइट पर 14 लाख यूरो का खर्च आएगा.
खूबसूरत चारा
ल्यूपिन का इस्तेमाल जानवरों के चारे के रूप में होता है. आम तौर पर यह नीले रंग का होता है, पर शायद जर्मनी के कृषि मंत्रालय को यह रोमांचक नहीं लगा. इसीलिए अब सफेद और पीले रंग के ल्यूपिन को उगाने पर काम किया जा रहा है. रंग बिरंगे इस चारे को उगाने पर खर्च आएगा 2.8 लाख यूरो का.
चीयर्स!
जर्मन लोग बीयर पीने के तो शौकीन होते हैं लेकिन इस पर होने वाले प्रयोगों से सहमत नहीं. बवेरिया की एक ब्रूअरी अपनी बिजली खुद बनाती है. इसे बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्रालय ने 6.4 यूरो दिए हैं.