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बर्फीले पानी में गजब का शतरंज

२२ अप्रैल २०१६

शतरंज की शुरुआत हिंदुस्तान में तीसरी से लेकर छठी शताब्दी के बीच हुई. फिर यहीं से शह और मात का यह खेल सारी दुनिया में पहुंचा. देखिए रूस में पहुंचकर इस बोर्ड गेम ने कैसे एक एडवेंचर गेम की शक्ल ले ली है.

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Schacholympiade 2008 in Dresden
तस्वीर: picture-alliance/dpa

'शतरंज के खिलाड़ी' शतरंज की लत में क्या कुछ नहीं कर गुजरते. मशहूर कहानीकार प्रेमचंद्र की कहानी के मिर्जा सज्जादअली और मीर रौशनअली आपको जरूर याद होंगे और इस खेल के लिए उनकी दीवानगी की हद भी.

शतरंज की दीवानगी महज हिंदुस्तान में ही नहीं, पूरी ​दुनिया में फैली हुई है. रूस में रोमांच के शौकीनों ने शतरंज जैसे नवाबों के शगल वाले खेल को ​साहसिक खेल की श्रेणी में पहुंचा दिया है. शतरंज की यह बिसात सजी है बर्फीले पानी में. एकदम जमा देने वाले बर्फीले पानी में डूबे शतरंज के खिलाड़ी तब तक पानी से नहीं उतरते जब तक कोई किसी को 'शह और मात' ना दे दे.