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बदल सकता है भारत का ऑटो बाजार

८ मई २०१७

भारत सरकार के प्रभावी थिंक-टैंक ने इलेक्ट्रिक व्हीक्ल पर कर और ब्याज दर को घटाने का सुझाव दिया है, जिसका असर पारंपरिक ऑटो बाजार पर पड़ेगा. ये सुझाव दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहे ऑटो बाजार में बदलाव का संकेत देते हैं.

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Indien Car-Free-Day in Neu Delhi
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Gupta

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट मुताबिक भारत सरकार साल 2018 के अंत तक देश में बैटरी बनाने वाले संयंत्र शुरू कर सकती है, साथ ही पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व को देश में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिये इस्तेमाल में ला सकती है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले नीति आयोग ने इस मसौदे को तैयार किया है. उद्योग जगत के सूत्रों मुताबिक इसका उद्देश्य साल 2032 तक देश के सभी वाहनों का विद्युतीकरण करना है और एक नई मोबिलिटी नीति को तैयार करना है. इस रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट पर चर्चा की गई है जो मौजूदा नीति के बिल्कुल उलट है. मौजूदी नीति में हाइब्रिड व्हीक्लस के तहत जैविक ईंधन और इलेक्ट्रिक पावर दोनों ही तरह के वाहन शामिल हैं लेकिन नई नीति सिर्फ हाइब्रिड व्हीक्लस की बात करती है. बदलाव के इन संकेतों ने देश के ऑटोनिर्माताओं को चिंता में डाल दिया है.

ट्रांसफॉरमेटिव मोबिलिटी सॉल्यूशंस फॉर इंडिया नामक इस रिपोर्ट के मसौदे मुताबिक, "भारत का नया गतिशीलता प्रतिमान (मोबिलिटी पैराडाइम) घरेलू और विश्व स्तर पर अहम प्रभाव डाल सकता है." हालांकि भारत सरकार की हाइब्रिड तकनीक से जुड़ी यह योजना चीन की उस घोषणा के बाद आई है जिसके तहत चीन ने जीवाश्म ईंधन कारों को हतोत्साहित करने के लिये प्लग-इन वाहनों की ब्रिकी को बढ़ाने के लिये सब्सिडी, रिसर्च से जुड़े आक्रामक उपायों की घोषणा की थी.

भारत सरकार का लक्ष्य साल 2030 तक अपने तेल आयात खर्च को आधा करना है साथ ही पेरिस जलवायु संधि की प्रतिबद्धता को पूरा करते हुये उत्सर्जन की दर को भी सरकार घटाना चाहती है.

देश की बड़ी ऑटो कंपनियां मसलन मारुति सुजुकी ने माइल्ड हाइब्रिड तकनीक में निवेश किया है, वहीं टोयोटा मोटर कॉर्प लक्जरी हाइब्रिड सेडान कार बेचती है. फिलहाल भारत में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ही इलेक्ट्रिक वाहनों का एकमात्र निर्माता कंपनी है.

मसौदे में जिन अन्य सुझावों को शामिल किया गया है उनमें कर की दर को कम कर इलेक्ट्रिक कारों को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करना, इलेक्ट्रिक कारों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना, उन पर कर्ज की दर को कम करना और कार निर्माताओं को अन्य छूट देना भी शामिल है. लेकिन सरकार के इस विचार पर बाजार को फिलहाल बहुत भरोसा नहीं है. परामर्शदात्रा कंपनी आईएचएस मार्केट में साउथ एशिया मैनेजर पुनीत गुप्ता के मुताबिक, सरकार को अपने इस लक्ष्य को पाने के लिये उदार प्रोत्साहन और मजबूत नेतृत्व की दरकार होगी. क्योंकि सभी कारों को इलेक्ट्रिक करना किसी सपने से कम नहीं है.

एए/ओेएसजे (रॉयटर्स)