बड़े काम का ओरिगेमी रोबोट
२२ अगस्त २०१४हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधान दल को इस तरह का रोबोट बनाने का विचार आया. डिजाइन टीम का नेतृत्व कर रहे रॉब वुड ने पत्रिका विज्ञान को बताया कि पूरी तरह से खुद को जोड़ लेने के बाद रोबोट 5.4 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चल सकता है. खुद से तैयार और बिना इंसानी हस्तक्षेप के चलने फिरने वाला यह इस तरह का पहला रोबोट है. ऐसे रोबोट का इस्तेमाल कई एप्लिकेशंस में हो सकता है.
शोध के मुख्य लेखक सैम फेल्टन कहते हैं, "कल्पना कीजिए रोबोटिक सैटलाइटों के दर्जनों कागज की गड्डी एक साथ एक जगह रख दिए जाएं, उन्हें अंतरिक्ष में भेजा जाए और एक बार अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद वे खुद से तैयार हो जाएं." फेल्टन कहते हैं कि ऐसे रोबोट तस्वीरें निकाल सकते हैं, डाटा इकट्ठा कर सकते हैं और बहुत सारे दूसरे कामों को अंजाम दे सकते हैं.
इनके इस्तेमाल की एक और संभावना है. इन्हें भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जा सकता है, जहां वे मलबे के नीचे आराम से चले जाएंगे और खुद को तैयार करके घायलों की तलाश कर सकेंगे. रोबोट कागज और हल्के प्लास्टिक के बने होते हैं, ऐसे प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल सीडी की पेटी बनाने में होता है. रोबोट के भीतरी भाग में एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट है जो मस्तिष्क के रूप में कार्य करता है. विशेष कब्जे ऊष्मा की मदद से पहले से प्रोग्राम किए गए तह को आकार में बदलते हैं.
खुद को तैयार करने के लिए रोबोट पूर्व निर्धारित क्रम से 100 डिग्री सेल्सियस तक कब्जे को गर्म करता है, धीरे धीरे सपाट कागज अंतिम आकार ले लेता है. करीब चार मिनट बाद पॉलीस्टीरीन ठंडा और कठोर हो जाता है. अब रोबोट चलने फिरने के लिए तैयार है. रोबोट में दो मोटर लगी हैं और वह उसे चलने में मदद करती हैं.
इस खास रोबोट को तैयार करने के लिए टीम ने पारंपरिक जापानी कला ओरिगेमी का इस्तेमाल किया है. ओरेगेमी वह कला है जिसमें कागजों को मोड़कर पक्षी बनाया जाता है. 3डी डिजाइन सॉफ्टवेयर ओरेगेमाइजर ने प्लास्टिक में तह तैयार किया है. हालांकि शोधकर्ता लंबे समय से खुद से तैयार होने वाले रोबोट पर काम कर रहे हैं लेकिन यह पहला रोबोट है जो बिना इंसानी हस्तक्षेप के ऑपरेट कर सकता है.
एए/एमजे (डीपीए)