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बड़ी संख्या में जर्मनी लौटते आईएस लड़ाके

१५ जनवरी २०१६

जर्मनी में शरणार्थियों की बहस के बीच सीरिया और इराक से लौट रहे लड़ाकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जर्मन संघीय पुलिस प्रमुख होल्गर मुंच के मुताबिक ऐसे 400 लोगों की गतिविधियों पर पुलिस की पैनी नजर है.

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तस्वीर: Propagandavideo Islamischer Staat via AP

मुंच ने एआरडी टीवी चैनल को बताया कि इस्लामिक स्टेट जैसे लड़ाके समूहों में शामिल होने के लिए जर्मनी से सीरिया और इराक जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है. लेकिन वापस लौट रहे लड़ाकों की संख्या लगातार बढ़ रही है जिनसे आतंकी हमलों का खतरा हो सकता है. इससे पहले उन्होंने कहा था कि पुलिस ऐसे 750 लोगों को जानती है जो जर्मनी से इराक और सीरिया युद्द में हिस्सा लेने गए थे. उन्होंने बताया कि उनमें से एक तिहाई लोग वापस भी आ गए हैं.

मुंच ने कहा, "यहां से जाने की लहर में कमी आई है लेकिन इसके साथ ही 400 से ज्यादा ऐसे लोग हैं जिनसे खतरा हो सकता है. उनपर हमें नजर रखनी होगी." मुंच ने कहा कि इस्तांबुल में हुआ आत्मघाती हमला जिसमें 10 जर्मन मारे गए, इस ओर संकेत नहीं करता कि जर्मनी में हमले का खतरा पहले से ज्यादा है. तुर्की की सरकार के अनुसार यह आतंकी हमला इस्लामिक स्टेट के एक लड़ाके का काम था जो तुर्की में शरणार्थी बनकर घुसा था. साथ ही कहा गया कि निशाना खास तौर पर जर्मन नहीं थे. जर्मनी और तुर्की दोनों ही अमेरिका के नेतृत्व में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जारी हवाई हमलों में भागीदार हैं.

शक का माहौल

एआरडी टीवी के लिए हुए एक ताजा सर्वे में पाया गया कि कोलोन में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर महिलाओं के साथ हुई बदसलूकी के बाद से लोग देश की शरणार्थी मुद्दे से निपट सकने की क्षमता के बारे में चिंतित हैं. वे और शरणार्थियों के आने की बात से असहज महसूस कर रहे हैं. सर्वे में 51 फीसदी जर्मन वयस्कों ने जाहिर किया कि वे चांसलर अंगेला मैर्केल के दावों पर यकीन नहीं करते जिनमें वह बार बार कहती हैं कि जर्मनी हालात से निपट सकता है. हालांकि अक्टूबर में ऐसा कहने वाले 48 फीसदी ही थे. टेलिफोन सर्वे में 1000 लोगों को शामिल किया गया.

ताजा आंकड़े बताते हैं कि जर्मनी में आत्मरक्षा के लिए हथियार और पेपर स्प्रे खरीदने का सिलसिला बढ़ गया है. खरीदारी में वृद्धि पेरिस हमले के बाद ही बढ़ गई थी. कोलोन में हुई घटना ने इसे और बढ़ाया है. हथियार उद्योग के एक सर्वे में यह बात पता चली. लोगों में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती दिखाई दे रही है. छुरे से लेकर नकली फायरिंग करने वाले पिस्तौल तक, पिछले महीनों में इन हथियारों को खरीदने वाले जर्मनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वे आत्मरक्षा के हथियारों से लैस हो रहे हैं.

जर्मनी के हथियार निर्माताओं और विक्रेताओं के संघ के निदेशक इंगो माइनहार्ड के मुताबिक 2014 की तुलना में इस साल हथियारों की बिक्री दोगुना हो गई है. संस्था के 1100 सदस्यों के बीच कराए गए टेलिफोन सर्वे के अनुसार छोटे हथियारों के लाइसेंस के लिए आवेदन देने वालों की तादाद भी बढ़ी है. इसके अलावा कोलोन के मार्शल आर्ट प्रशिक्षक योसेफ वेर्नर ने बताया कि महिलाओं के आत्मरक्षा के कोर्स के बारे में पूछताछ लगभग पांच गुना बढ़ गई है.

एसएफ/एमजे (रॉयटर्स,एफपी)