बजट डायरी से निकली शायरी...
अपने आर्थिक तर्कों को व्यापक आधार देने के लिए वित्त मंत्रियों ने अनेक मौकों पर कवियों, संतों समाजशास्त्रियों, साहित्यकारों आदि की व्याख्याओं और रचनाओं का इस्तेमाल अपने बजट भाषणों में किया है.
अरुण जेटली
पिछले साल के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें/ लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें/ फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको/ इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें.
कांटें कई पुराने हैं
जेटली ने साल 2015 में अपने बजट भाषण के दौरान कहा, कुछ तो फूल खिलाये हमने और कुछ फूल खिलाने हैं/ मुश्किल ये है बाग में अब तक, कांटें कई पुराने हैं.
विक्टर ह्यूगो को किया याद..
साल 1991-92 में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने लेखक विक्टर ह्यूगो का उल्लेख कर कहा, `जिस विचार का समय आ गया है उसे धरती की कोई भी शक्ति नहीं नकार सकती.´
टुकिया में आना
साल 2004 में वित्तमंत्री रहे जसवंत सिंह ने अंतरिम बजट पेश करते हुए अपनी स्वरचित पंक्ति को भरी सभा में बोला, `गरीब के पेट में दाना/ गृहिणी की टुकिया में आना.´
हे प्रभु !
सुरेश प्रभु ने साल 2015 में रेल बजट पेश करते हुए कहा था, `हे प्रभु! ये काम कैसे होगा´ साथ ही महात्मा गांधी के शब्दों को दोहराते हुए प्रभु ने कहा था `रेलवे एक ऐसी संस्था है जो सभी भारतीयों के दिल को छूती है.´
शायर ममता..
ममता बनर्जी ने साल 2011-12 में रेल बजट भाषण में कहा, `हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम/ वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती.´
टैगोर को किया याद..
इस दौरान ममता ने रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा, `मुझे इतनी ताकत दो कि मैं गरीबों को बेसहारा न छोड़ दूं और न ही कभी ताकतवर लोगों के सामने अपने घुटने टेक दूं.´
कभी कौटिल्य तो कभी शेक्सपीयर
वित्त मंत्री रहते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अनेक मौकों पर कौटिल्य का उल्लेख किया है लेकिन साल 2012-13 के बजट में शेक्सपीयर की रचना हेमलेट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा `मुझे उदार बनने के लिए क्रूर होना चाहिए.´
इकबाल की कलम से..
साल 1991 में बजट भाषण के दौरान मनमोहन सिंह ने शायर इकबाल का जिक्र करते हुए कहा, `यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोम, सब मिट गए जहां से/ अब तक है मगर बाकी, नाम-ओ-निशां-हमारा´
लालू भी बने कवि..
लालू यादव ने साल 2009 में अपने रेल बजट भाषण में कहा, `सब कह रहे हमने गजब काम किया है/ करोड़ों का मुनाफा हर एक शाम दिया/ फल सालों में अब देगा पौधा जो लगाया है/ सेवा का समर्पण का हमने फर्ज निभाया है.´