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बच्चों को मारने की सज़ा जेल

१६ जुलाई २०१०

बच्चे गलती करें तो उन्हें भूल से भी मारिए मत क्योंकि इससे उनमें सुधार हो ना हो आपको जेल जरूर हो जाएगी. भारत सरकार जल्दी ही संसद में ऐसा बिल ला रही है जिसके बाद बच्चों पर हाथ उठाने वाले अभिभावकों को सज़ा हो सकती है.

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तमाचों पर रोकतस्वीर: chromorange

बचपन की सारी गुस्ताखियों और मौज मस्तियों के साथ मां-बाप, टीचर और यहां तक कि कई बार पड़ोसियों के हाथों हुई पिटाई भी उम्र भर नहीं भूलती. चाहे देर से घर आने, परीक्षा में मिले कम नंबर, या कोई और शरारत करने पर मम्मी-पापा ने कान खींच कर थप्पड़ जड़ा हो, क्लास में कानाफूसी करने और होमवर्क ना करने के लिए मास्टरजी ने मुर्गा बनाया हो या हथेलियों पर छड़ियां बरसाईं हो या फिर बगीचे से आम चोरी करने के लिए पड़ोस के माली या दरबान ने डंडा लेकर दौड़ाया हो जल्दी ही ये सब भारत में भी गुजरे जमाने की बात हो जाएंगी. अब भला बच्चों की शरारत और शैतानियों पर उनकी पिटाई कर जेल जाने का जोखिम कौन उठाएगा.

Der Mobile Mini Circus for Children (MMCC kinderkulturk) - ist ein Kinderschutz-Projekt, das Kindern in Afghanistan psychosoziale Unterstützung geben will und sich für Kinderrechte generell engagiert.
बच्चों को मिलेगी कानून की ताक़ततस्वीर: presse

सरकार प्रिवेंशन ऑफ ऑफेंसेस अगेंस्ट चाईल्ड 2009 बिल को अंतिम रूप देने में जुटी है. जल्दी ही इसे कैबिनेट में चर्चा के बाद सांसदों की मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा. एक बार बिल पास हो गया तो कोई भी बच्चा अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए अपने मां-बाप को भी कोर्ट में घसीटने का अधिकार हासिल कर लेगा. इसमें सज़ा देने के लिए की जाने वाली मार पीट को हिंसा की श्रेणी में डालने का प्रावधान है. सज़ा देने वालों की इस लिस्ट में मां-बाप, भाई-बहन, रिश्तेदार, पड़ोसी, स्कूल, देखभाल करने वाले संस्थान और जेल शामिल हैं. यानी कहीं भी किसी ने बच्चों को हाथ लगाया तो बच्चे के पास कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार होगा.

बच्चों को सज़ा देने पर मिलने वाली सज़ा काफी सख्त है. पहली बार दोषी पाए जाने पर 5000 रुपये का जुर्माना और एक साल तक की क़ैद होगी. अगर दूसरी बार दोषी साबित हुए तो जुर्माना 25000 तक जा सकता है. सरकार इस बिल के जरिए बच्चों पर होने वाले हर जुल्म को रोकने की कोशिश में है. इस बिल में बच्चों से भीख मंगवाने, उनसे किसी तरह की मजदूरी कराने की भी मनाही है. अगर बच्चे को बेचने या उसके यौन शोषण की बात सामने आई तो सज़ा उम्र कैद तक हो सकती है. बच्चों से पोर्नोग्राफी और उन्हें नशीली दवाओं का आदी बनाने पर भी सज़ा की बात की गई है. अब तक बच्चों के पास केवल नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राईट्स यानी एनसीपीआर से जारी दिशा निर्देश का ही सहारा था जिसमें कई खामियां हैं. सरकार ने तो तैयारी कर ली है अब आप भी अपनी आदत सुधार लीजिए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः महेश झा