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भारत ने की पेरिस हमले की निंदा

७ जनवरी २०१५

पेरिस में एक व्यंग्य पत्रिका के दफ्तर में हुए आतंकी हमले में बारह लोगों की जान गयी है. हमलावरों की खोज जारी है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हमले की निंदा की है.

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तस्वीर: B. Guay/AFP/Getty Images

"अल्लाहु अकबर" का नारा लगाते हुए कुछ नकाबपोश फ्रांस की पत्रिका 'शार्ली एब्दॉ' के दफ्तर में घुसे और अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने इसे "बिना किसी शक के आतंकवादी हमला" बताया है. वे शाम को देशवासियों को एक टीवी संदेश में संबोधित करेंगे. सरकार ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई है और देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है.

हमले से कुछ ही देर पहले पत्रिका ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के नेता का कार्टून ट्वीट किया था जिसका शीर्षक था "अब तक फ्रांस पर कोई हमला नहीं हुआ है." कार्टून में आईएस नेता को यह कहते देखा जा सकता था कि "हमारे पास नए साल की शुभकामनाएं देने के लिए जनवरी के अंत तक का समय है." हमले में चार मुख्य कार्टूनिस्ट और प्रधान संपादक मारे गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर हमले की निंदा की है. उन्होंने लिखा, "पेरिस में निंदनीय और घृणित हमला हुआ है. हम फ्रांस के लोगों के साथ एकजुट हैं. मारे गए लोगों के परिवारों के साथ मेरी सहानुभूति है."

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी ट्विटर के माध्यम से इस हमले पर शोक व्यक्त किया है, "पेरिस में मीडिया के दफ्तर पर हुए हमले की मैं कड़ी निंदा करता हूं. आतंकवाद और हिंसा की इस दुनिया के किसी कोने में कोई जगह नहीं है."

वहीं मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, "आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है, पूरी दुनिया को इस शैतान से निपटने के लिए एकजुट होना होगा."

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी हमले की कड़ी निंदा करते हुए उसे "घृणित" बताया है. फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद को शोकपत्र में उन्होंने लिखा है, "पेरिस की पत्रिका पर घृणित हमले की खबर सुन कर मैं सकते में रह गयी. आपकी और आपके देशवासियों की आपदा की इस घड़ी में मैं जर्मनी के लोगों की ओर से सहानुभूति और अपना शोक प्रकट करती हूं और मारे गए लोगों के प्रियजनों के लिए दुखी हूं." मैर्केल ने इसे मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी हमले की निंदा की है, उनके प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी टास से कहा, "आतंकी हमलों को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता, हमें इस बात का पूरा यकीन है कि आतंकवाद के खिलाफ तक कामयाब नहीं हो सकती, जब तक हर तरफ से सहयोग ना मिले"

पिछले दो दशकों में यह फ्रांस में हुआ सबसे बड़ा आतंकवादी हमला है.

आईबी/एमजे (एपी, डीपीए)