फ्रांस दौरे पर पहुंचे नरेंद्र मोदी
१० अप्रैल २०१५प्रधानमंत्री मोदी का पेरिस में सरकारी वार्ताओं से पहले औपचारिक सम्मान किया जाएगा. वह राजनीतिक नेताओं के अलावा कारोबारी घरानों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से दो समूहों में बातचीत करेंगे. इसके बाद राष्ट्रीय असेम्बली में प्रधानमंत्री का औपचारिक स्वागत किया जाएगा. प्रधानमंत्री के सम्मान में सरकार की ओर से दोपहर का भोज आयोजित है. भारतीय प्रधानमंत्री शाम चार बजे राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद से राष्ट्रपति महल एलिजे पैलेस में मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय बैठक करेंगे. बैठक में दोनों के बीच रक्षा अंतरिक्ष एवं परमाणु क्षेत्र के अलावा स्मार्ट सिटी, रेलवे और आधारभूत ढांचा क्षेत्र में सहयोग पर बातचीत होगी. इस दौरान दोनों देशों के बीच कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
अब सिर्फ 60 राफाल
भारत और फ्रांस के बीच प्रमुख विवाद का मुद्दा फ्रांस के 126 लड़ाकू विमान राफाल की खरीद है. लगभग आठ साल पहले खरीद के लिए शुरू की गयी प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है. अब भारत पूरी तरह फ्रांस में निर्मित मात्र 60 राफाल विमानों की आपूर्ति के लिए नए सिरे से समझौता कर सकता है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन देशों की यात्रा के पहले उच्च राजनीतिक स्तर पर यह निर्णय ले लिया गया था कि वायु सेना के लिए फ्रांस की कंपनी देसॉ से 60 से 63 राफाल विमान खरीदे जाएंगे.
भारत ने राफाल विमान खरीदने का फैसला लिया था लेकिन भारत में बनने वाले विमानों और कीमत को लेकर विवाद के चलते यह समझौता पूरा नहीं हुआ है. सरकार ने इस समझौते के वित्तीय और अन्य पहलुओं को देखकर इस संबंध में खुद ही निर्णय लेना बेहतर समझा. नए प्रस्ताव के तहत 126 राफाल विमानों की खरीद वाली पुरानी पूरी प्रक्रिया हटा दी जाएगी और दोनों सरकारों के बीच होने वाले इस नए समझौते के तहत फ्रांस में पूरी तरह तैयार लगभग 60 राफाल विमान खरीदे जाएंगे. इस फैसले से वायु सेना को तैयार स्थिति में जल्द से जल्द नए लड़ाकू विमान मिल जाएंगे.
पुराने समझौते के तहत राफाल विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया जाना था और उसकी गुणवत्ता को लेकर बहुत आशंकाएं थीं. इसके साथ ही विदेशी मुद्रा में लगभग 60 हजार करोड़ रुपये की भी बचत होने की संभावना है. माना जा रहा है कि लगभग 60 विमानों की खरीद में करीब 40 से 45 हजार करोड़ रुपये लगेंगे और इसे अगले चार पांच वर्षों में किस्त में देना होगा जबकि पुराने समझौते के तहत 126 विमानों के लिए एक लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि देनी थी.
एमजे/आईबी (वार्ता)