फ्रांस की सरकार पर आर्थिक संकट के गाज
२५ अगस्त २०१४राष्ट्रपति भवन इलिजे पैलेस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "राष्ट्रप्रमुख ने वाल्स से एक ऐसी टीम का गठन करने को कहा है जो उनके द्वारा देश के लिए निर्धारित दिशा के साथ अनुकूल हो." साथ ही बयान में कहा गया है कि नई सरकार में शामिल होने वालों का नाम मंगलवार तक साफ हो जाना चाहिए. वाल्स को अप्रैल में जाँ मार्क ऐरो की जगह पर प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था. वाल्स के प्रधानमंत्री बनने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल भी किए गए थे.
सरकार में तीखी बहस
फ्रांस की राजधानी पेरिस में गुजरा हफ्ता काफी उग्र था, प्रधानमंत्री वाल्स और वित्त मंत्री आर्नो मोटबुअर आर्थिक नीतियों को लेकर सार्वजनिक तौर पर तीखी बहस में पड़ गए. विशेष तौर पर जर्मनी द्वारा यूरोजोन के नाजुक आर्थिक स्थिति वाले देश को लेकर कटौती पर जोर देने के मुद्दे पर. मोटबुअर ने फ्रांसीसी अखबार ले मोंद से कहा कि जर्मनी ने कटौती की नीति पूरे यूरोप पर थोप दी है. उनका कहना है कि दूसरे देशों को भी इस बारे में मुखर होना चाहिए.
राष्ट्रपति ओलांद ने यूरोजोन के कर्ज संकट से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था के प्रोत्साहन पर अधिक खर्च और कम कठोर कटौती की वकालत की थी. हालांकि उसके बाद से वे ब्रसेल्स में अपने पार्टनर के साथ मिलकर इस दिशा में बड़े बदलाव करने के लिए संघर्ष करते आए हैं. ओलांद ने मोटबुअर से कहीं अधिक कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाया. इस हफ्ते ओलांद ने मोटबुअर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि विकास को प्राथमिकता देने के लिए हम यूरोपीय पार्टनर को समझा पाएंगे."
कमजोर अर्थव्यवस्था
पिछले कुछ समय से फ्रांस धीमे आर्थिक विकास और उच्च बेरोजगारी दर से जूझ रहा है. केंद्रीय बैंक ने इस महीने चेतावनी दी थी कि ओलांद की 1.0 फीसदी विकास दर की उम्मीद पूरी नहीं हो सकती है. फ्रांस की अर्थव्यवस्था पिछले 6 महीने से स्थिर है और सरकार को मजबूरन इस साल के विकास दर के अनुमान को घटाकर 0.5 फीसदी करना पड़ा.
यूरोपीय संघ के देशों में भावी आर्थिक नीति पर विवाद है. फ्रांस और इटली जैसे देश अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए नए कर्ज पर सबसिडी पर जोर दे रहे हैं तो जर्मनी जैसे कुछ दूसरे देश कठोर वित्तीय अनुशासन और बचत की वकालत कर रहे हैं. ओलांद और वाल्स दोनों का ही कहना है कि तेज विकास का जवाब उनके 'रेस्पॉन्सिबिलिटी पैक्ट' के तहत मिल सकता है, जिसके तहत कंपनियों को टैक्स में छूट दी जा रही हैं, जिससे अगले तीन साल में वह पांच लाख नई नौकरियां पैदा कर सकें.
एए/एमजे (एएफपी, एपी)