फैलते मरुस्थल: तस्वीरों में
पर्यावरण के प्रति मनुष्य का गैरजिम्मेदाराना रवैया दुनिया को सूखे की तरफ ले जा रहा है. मरुस्थलों का हर साल दुगना विस्तार हो रहा है. देखिए एक झलक तस्वीरों में.
बंजर होते नजारे
दुनिया भर के वैज्ञानिक, रिसर्चर, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि लगातार बंजर होती जमीनों और बढ़ रहे सूखे पर चर्चा करने इकट्ठे हो रहे हैं. धरती का लगभग एक तिहाई हिस्सा बंजर जमीन है और यह हर दिन फैलता जा रहा है. पहले मरुस्थलों का बढ़ना प्राकृतिक कारणों मात्र से ही हुआ करता था अब ऐसा खुद मनुष्य के हाथों हो रहा है.
सूखा अब और भी सूखा
बंजर शब्द का इस्तेमाल किसी क्षेत्र के लिए तब होता है जब भूमि अत्यधिक सूखी हो जाती है. ऐसा उन इलाकों में होता है जो पहले से ही काफी सूखे होते हैं. इनमें से ज्यादातर अफ्रीका, अमेरिका और एशिया में पाए जाते हैं.
इंसान के कारण
हर साल दुनिया भर में लगभग 70000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नए रेगिस्तान बन रहे हैं. इसके पीछे काफी हद तक मानवीय प्रक्रियाओं के कारण हुए पर्यावरण परिवर्तन का भी हाथ है. पर्यावरण के प्रति लापरवाही हमें आने वाले सालों में कहीं भारी पड़ सकती है.
चराई भी जिम्मेदार
अक्सर पशुओं को सूखे मैदानों में रखा जाता है. ये पशु बची खुची घास और पौधे खा जाते हैं, जिससे मिट्टी को बाहरी प्रभावों से बचाने वाली परत भी नष्ट हो जाती है. इससे मिट्टी कटने लगती है और भूमि रेतीली होने लगती है.
अत्यधिक खेती
कई बार बहुत ज्यादा खेती भी उसके लिए नुकसानदेह होती है. फसल कटाई के बाद नई फसल के लिए खुद को तैयार करने का मिट्टी को समय नहीं मिलता फिर उसके पोषक तत्व कम होने लगते हैं. आगे इसी कारण मिट्टी कटने लगती है.
जंगलों का नाश
कई देशों में जंगलों के कटने में कमी अभी भी कोई नहीं आई है. पेड़ काट कर लोग अपने उद्योग को तो बढ़ा रहे हैं लेकिन ऐसा करके पर्यावरण को नजरंदाज कर रहे हैं. जंगलों को काट कर शहरों का विस्तार हो रहा है.
पानी का उपभोग
आबादी के बढ़ने के साथ पानी की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है. पिछले 50 साल में दुनिया भर में पानी की जरूरत लगभग दुगनी हो गई है.
चेन रिएक्शन
जमीन रेतीली होना शुरू हुई कि फिर दूसरी चीजें अपने आप होने लग जाती हैं. पौधों का विकास रुक जाता है, पानी का वाष्पीकरण बढ़ जाता है, मिट्टी कटने लगती है, धरती में नमक की मात्रा बढ़ जाती है और जमीन पत्थर जैसी सख्त होने लगती है. आमतौर पर बंजर जमीन दोबारा हरी नहीं हो पाती है.
रोकथाम जरूरी
जमीन को बंजर होने से रोकने के तरीके मौजूद हैं. इसके लिए किसानों जानकारी देना जरूरी है कि वे कैसे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनाए रखें. मरुस्थलीकरण को रोकना थोड़ा मुश्किल और महंगा भी है. जंगलों को दोबारा हरा भरा करना होगा.
पूरी दुनिया का मुद्दा
1994 में संयुक्त राष्ट्र ने मरुस्थलीकरण की रोकथाम के लिए समझौता किया था. इसमें 190 देश शामिल हैं. हर साल 17 जून को इसी वादे की याद दिलाने के लिए मनाया जाता है.