फाइनल में पहुंचे जापान और ऑस्ट्रेलिया
२६ जनवरी २०११तीन बार की चैंपियन टीम जापान ने सेमीफाइनल में अपनी कट्टर प्रतिद्वन्द्वी दक्षिण कोरिया को 3-0 से पीटा. लेकिन यह जीत उसे कांटे के मुकाबले के बाद पेनल्टी शूट आउट में हासिल हुई.
ऑस्ट्रेलिया की शाम जापान से बहुत अलग रही. उसने 10 खिलाड़ियों से खेल रही उज्बेकिस्तान की टीम की बुरी गत बनाई और 6-0 से मुकाबले में एकतरफा जीत हासिल की. पहली बार फाइनल में पहुंची टीम के कोच जर्मनी के होल्गर ओसिएक ने कहा, "हमारा खेल शानदार रहा. खिलाड़ियों ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया और मैं उन सबकी तारीफ करना चाहूंगा. सब बेहतरीन रहा."
दोहा के अल गराफा स्टेडियम में जापान का खेल भी कम शानदार नहीं रहा लेकिन दक्षिण कोरिया किसी भी जगह उससे पीछे नहीं रहा. एक्स्ट्रा टाइम में जापान ने मैच लगभग जीत ही लिया था. खेल खत्म होने में एक मिनट पहले तक भी वह 2-1 से आगे था. लेकिन आखिरी मिनट में गोल करके कोरियाई खिलाड़ियों ने मुकबले को बराबरी पर ला खड़ा किया. लेकिन पेनल्टी शूट आउट में वे बुरी तरह नाकाम रहे. कू जा किओल, ली यंग रे और होंग जिओंग हो तीनों 12 गज से गोल करने में सफल नहीं हो पाए.
मैच के बाद जापान के कोच इटली के अलबेर्टो जाखरोनी ने कहा कि यह एक बहुत मुश्किल मुकाबला था. उन्होंने कहा, "कोरियाई टीम को पूरा श्रेय मिलना चाहिए. वे शानदार थे. उनकी टीम बहुत आयोजित थी. ऐसी टीम के खिलाफ जीतना ज्यादा खुशी देता है."
दक्षिण कोरियाई कोच ने भी अपनी टीम की जमकर तारीफ की. हार मानने से इनकार करते हुए उन्होने कहा, "खिलाड़ियों ने कभी हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अपने विरोधियों पर दबाव बनाए रखा और मैच पर आखिर तक काबिज रहे. हमने दिखा दिया कि लड़ने का जज्बा और फुटबॉल खेलने की इच्छा हमारे अंदर कितनी मजबूत है."
दूसरे सेमीफाइनल का तो हाल ही अजीब रहा. ऑस्ट्रेलिया ने पहले हाफ में खेल को लगभग खत्म कर दिया था. एशिया कप में अपना पहला सेमीफाइनल खेल रही उज्बेकिस्तान की टीम को उसने करारा सबक सिखाया.
फाइनल मुकाबला 29 जनवरी को खेल जाएगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन