1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फर्जी खबर मीडिया युद्ध है: जर्मन सांसद

कार्ला ब्लाइकर
२५ जनवरी २०१७

जर्मनी की सत्ताधारी सीडीयू पार्टी के सांसद पैट्रिक जेंसबुर्ग ऑनलाइन पर प्रसारित फर्जी खबरों को मीडिया युद्ध मानते हैं और उनके खिलाफ सरकारी कार्रवाई के पक्षधर हैं.

https://p.dw.com/p/2WNOt
Facebook Symbol
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/M. Rourke

डॉयचे वेले: फर्जी खबरों के मामले में किस कदम को आप अपराध की श्रेणी में लाना चाहते हैं? आपका लक्ष्य क्या और कौन है?

पैट्रिक जेंसबुर्ग: एक ओर हमें उन कानूनों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है जो कुप्रचार और मानहानि के लिए हैं. लेकिन इस संगठित कुप्रचार से लड़ने के लिए हमें नए साधनों की जरूरत है. मामला यहां वहां इक्का दुक्का फर्जी खबरों का नहीं है, बल्कि यहां पूरी वेबसाइट बनाई जा रही हैं जो गंभीर मीडिया संगठन या सरकारी एजेंसी जैसी लगती हैं. वहां की सारी खबरें गलत सूचनाओं वाली होती हैं और ऐसी खबरों से लिंक होती हैं जो उतनी ही गलत हैं. उनका मकसद मीडिया जगत और हमारे राज्य की संरचना को कमजोर करना है.

यह उससे एकदम अलग है जब कोई इंसान अपने बेतुके विचारों को उचित ठहराता हो. लक्ष्य इस तरह का संगठित कुप्रचार और फर्जी खबर है जो सिर्फ धोखा देने या गलत सूचना देने के मकसद से बनाए जाते हैं. हमें इस क्षेत्र में कानूनी प्रावधानों को सख्त बनाने के बारे में सोचने की जरूरत है.

आप अपराधियों को कैसे पकड़ेंगे?

अपराधी आम तौर पर दूसरे देशों में बैठे होते हैं. यदि वेबसाइट विदेशों में होस्ट की जा रही है तो हमारे लिए ज्यादा मुश्किल होगी. लेकिन उन मामलों में सोशल मीडिया से कंटेट को हटाया जा सकता है. यह मांग बहुत सी पार्टियों ने की है कि फेसबुक को फर्जी खबरों को हटाना चाहिए.

कुछ दूसरी वेबसाइट हैं जो जर्मनी से होस्ट की जाती हैं. ये हमने शरणार्थी संकट के दौरान देखा है और कुछ हद तक यूरो संकट के दौरान भी. यहां हमें इन वेबसाइटों को चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के रास्तों के बारे में सोचना होगा, जिनका एकमात्र मकसद मीडिया जगत और सरकार में लोगों के भरोसे को अस्थिर करना है. 

Patrick Sensburg
पैट्रिक जेंसबुर्गतस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kappeler

इसके लिए विशेष कानून की क्या जरूरत है? क्या मानहानि के मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं हैं?

कुछ हद तक हां. लेकिन सवाल यह है कि क्या एक अपमानजनक पोस्ट के पीछे कोई संगठित प्रयास है. नया कारक है कि इंटरनेट पर प्रेस तटस्थता को फेक करना. कोई नियमित दैनिक अखबार या उसके जैसा स्रोत होने का दिखावा करता है और प्रेस और पत्रकारों में, और इस तरह राज्य में भरोसे को कमजोर करने के लिए बहुत सारा कंटेट तैयार करता है. यह 21वीं सदी में नए तरह का प्रोपेगैंडा है, यह मीडिया युद्ध है.

यदि आर इस स्थिति का सामना भोलेपन से कर रहे हैं और 19वीं और 20वीं सदी की प्रेस स्वतंत्रता की दलीलों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपको जल्द ही पता चल जाएगा कि नई संभावनाओं और तकनीकों के कारण पलक झपकते जनमत तैयार किए जा सकते हैं. हमें उनके खिलाफ कदम उठाना होगा. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित करने का मामला नहीं है.

इस तरह के अपराधों के लिए सजा क्या होगी?

हमें इस पर विचार करना होगा कि क्या वह व्यक्ति पहली बार अपराध कर रहा है, क्या वह किसी की नकल कर रहा है, या इसके पीछे किसी राजकीय संगठन का हाथ तो नहीं है, जो जासूसी की श्रेणी में आएगा. यदि हम ये देखते हैं कि फर्जी खबर वाली वेबसाइटें विदेशों से ऑपरेट की जा रही है तो हमें विचार करना होगा कि क्या वे जासूसी की कार्रवाई का हिस्सा हैं. किसी देश को अस्थिर करना विरोधियों को कमजोर करने के लिए जासूसी संगठनों की सामान्य कार्रवाई होती है. ऐसी स्थिति में हम जासूसी की सख्त धाराओं का इस्तेमाल कर सकते हैं.

पैट्रिक जेंसबुर्ग जर्मन संसद बुंडेसटाग में चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के सदस्य हैं वे संसद के कानूनी और उपभोक्ता संरक्षण मामलों के आयोग के सदस्य है.