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प्लास्टिक बोतलों से बनी नाव प्रशांत घूमकर लौटी

२६ जुलाई २०१०

प्लास्टिक की बोतलों से बनी नाव प्लास्टिकी ने प्रशांत महासागर में 15000 किलोमीटर का ऐतिहासिक सफर तय कर लिया है. सिडनी हार्बर पर हज़ारों लोगों ने प्लास्टिकी की वापसी पर अगवानी की. इसी साल मार्च में चली थी प्लास्टिकी.

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तस्वीर: AP

पर्यावरण को बचाने की एक मुहिम का हिस्सा है 12000 प्लास्टिक बोतलों से बनी नाव प्लास्टिकी. छह नाविकों के साथ जहाज़ ने कचरे से भरे उत्तर प्रशांत इलाके का दौरा किया और आस्ट्रेलिया पहुंचने से पहले लाइन द्वीप, पश्चिमी समोआ और न्यू कैलिडोनिया में अपना लंगर डाला. ये नाव दुनिया का ध्यान रिसाइकलिंग से होने वाले फायदों की तरफ खींचने के लिए इस लंबे सफर पर निकली थी. अब वह अगले एक महीने तक सिडनी के मैरिटाइम म्यूज़ियम में आराम करेगी.

Müllkippe Meer
समंदर में प्लास्टिक का कचरातस्वीर: AP

सफर के दौरान सिर्फ नाव ही नहीं उसके लिए ऊर्जा पैदा करने में भी रिसाइकल चीजों का इस्तेमाल किया गया. नाव बनाने के लिए प्लास्टिक बोतलों को एक दूसरे के साथ रिसाइकल किए जा सकने वाले प्लास्टिक से काजू के छिलकों और गन्ने से बनी गोंद के सहारे जोड़ा गया. नाव के पाल भी रिसाइकल किए गये प्लास्टिक से बने हैं. क्रू के सदस्यों के पास ऊर्जा पैदा करने के लिए सोलर पैनल, पवन ऊर्जा वाले टरबाइन और साइकिल की ऊर्जा से चलने वाले बिजली के जेनरेटर थे जिनमें पेशाब को रिसाइकल कर बनाए पानी का इस्तेमाल किया गया. क्रू के सदस्य अपने समर्थकों के साथ संपर्क में रहने के लिए ब्लॉग और ट्वीटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल कर रहे थे.

यात्रा में शामिल जो रॉयल और डेव थॉमसन कहते हैं कि दूसरी नावों के मुकाबले प्लास्टिकी को चलाना बिल्कुल अलग था लेकिन उन्हें यकीन था कि उनकी नाव अपना सफर पूरा कर लेगी. इसे बनाने और इस सफर पर भेजने का विचार डेविड डे रोटशिल्ड के दिमाग की उपज थी. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में जब ये कहा गया कि समंदर के हर हिस्से पर मानव ने अपने कदमों के निशान छोड़े हैं तो डेविड हैरान रह गए. अभियान को मिले जबर्दस्त उत्साह से रोटशिल्ड बेहद उत्साह में हैं और इसे वो उम्मीद से ज्यादा सफल बताते हैं. रोटशिल्ड कहते हैं कि समंदर में तैर रहे प्लास्टिक कचरे ने समस्या की गंभीरता का अहसास करा दिया है. प्लास्टिक के बड़े टुकड़े छोटे होते रहते हैं और जब तक मछलियां इन्हें खा नहीं लेती ये समंदर में तैरते रहते हैं. मछलियों के जरिए यही प्लास्टिक इंसान के पेट में पहुंच रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम में कहा गया है कि समंदर के हर एक वर्ग किलोमीटर इलाके में कचरे के 15000 से ज्यादा टुकड़े फैले हुए हैं. इसके अलावा हर साल 64 लाख टन प्लास्टिक का कचरा समंदर में डाला जाता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः महेश झा