प्राचीन भारत की याद दिलाता थाइलैंड
शंख की ध्वनि गूंजी और फिर राजा ने धान के बीज उर्वरा धरती पर रोप दिये. थाइलैंड में आज भी 700 साल पुराने तरीके से धान की खेती का सीजन शुरू होता है.
धान की खेती के सीजन का स्वागत सबसे पहले राजा ने हल चला कर किया. इस दौरान बाहुल्य और प्रचुरता नाम के दो बैल रॉयल गार्डन में पहुंचे और राजा ने उनसे सांकेतिक रूप से जुताई की.
जुताई के बाद राजा महा वाजिरालोंगकर्ण बोधिद्रांदेबायवरंगकुन ने धान के बीज धरती पर डाले. इस तरह सीजन की शुरूआत हुई.
समारोह के दौरान थाइलैंड के कृषि मंत्री भी मौजूद थे. पारंपरिक पोशाक में सजे कृषि मंत्री तीर्थपत प्रायुर्सिद्धी ने शंखनाद के बीच धान के बीज फेंक कर लोगों के समारोह का दरवाजा खोला.
सैकड़ों साल पुरानी इस परंपरा के जरिये धान की बढ़िया फसल की प्रार्थना की जाती है. परंपरा के मुताबिक राजा खुद हल चलाकर पृथ्वी से लहलहाती फसल की विनती करता है.
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत के बाद थाइलैंड का नंबर आता है. देश का प्रमुख आहार चावल ही है.
इस बार बैलों ने चावल, मक्का और घास खायी. इसके आधार पर कहा जा रहा है कि इस साल अच्छी बारिश होगी और अन्न व फल खूब मिलेंगे.
दक्षिण पूर्वी एशिया के इस देश में आज भी हिंदू धर्म से जुड़ी कई पंरपराएं हैं. धान की खेती की शुरूआत भी हिंदू पंडित के मंत्रोच्चार से होती है.
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत के बाद थाइलैंड का नंबर आता है. देश का प्रमुख आहार चावल ही है. (रिपोर्ट: ओएसजे/आरपी)