प्रकृति से प्रेरणा, हल्के विमान की तैयारी
प्रकृति और विज्ञान का आपस में गहरा रिश्ता है. वैज्ञानिकों को प्रकृति से मिले आइडिया और 3डी प्रिंटिंग की मदद से हल्के फुल्के विमान बनाने में मदद मिल रही है.
बेहद पतला, बेहद मजबूत
विक्टोरिया वॉटर लिली का फूल जितना नाजुक दिखता है उतना ही मजबूत भी होता है. उदाहरण के तौर पर विक्टोरिया बड़ी आसानी से इस बच्चे का भार उठा सकता है. इससे बड़े साइज का फूल वयस्क का भार भी उठा सकता है. हालांकि यकीन करना मुश्किल लगता है.
3डी पहेली का हल
यह एयरबस एरोस्पेस इंजीनियर ऐसा ही करने की कोशिश कर रहा है. पहले उसने 3डी स्कैनर की मदद से विक्टोरिया की नाजुक संरचना को स्कैन किया. फिर वह इस डाटा को कंप्यूटर प्रोग्राम में डालता है.
भार का वितरण
प्रकृति पर आधारित संरचनाओं को बनाने के लिए कंप्यूटर टूल कारगर साबित होते हैं. इन संरचनाओं की डिजायन और निर्माण में नकल उतारना बायोनिक कहलाता है. यह उदाहरण ध्रुवीय और समुद्री रिसर्चों के आलफ्रेड वाग्नर इंस्टीट्यूट से लिया गया है. कंप्यूटर इसका आकलन करता है कि भार को संभालने के लिए कुल संरचना कैसी होनी चाहिए.
सब सहारे की बात है
कुछ ऐसा ही वॉटर लिली करता है. पत्तियों के निचले तह पर तना मोटा और सघन है. यह वह हिस्सा है जहां वॉटर लिली पर ज्यादा दबाव पड़ता है. जिन हिस्सों पर कम दबाव होता है वहां तनों के बीच ज्यादा दूरी होती है और तने पतले भी होते हैं.
वॉटर लिली स्पॉयलर
यह एयरप्लेन स्पॉयलर वॉटर लिली के मॉडल से प्रेरित है. इसे सेलेक्टिव लेजर मेल्टिंग तकनीक से प्रिंट किया गया है. यह बेहद हल्की लेकिन बड़े काम की संरचना है जिसे किसी और तरीके से बनाना शायद संभव ना होता.
एयरबस अंवेषक
पीटर सांडर हैंबर्ग में एयरबस प्रिंटिंग के माहिर हैं. वॉटर लिली स्पॉयलर उनके कई और अहम प्रोजेक्ट्स में से एक है जो उन्होंने लेजर सेंट्रुम नॉर्ड निर्माण कंपनी के साथ मिलकर किए. 2016 से एयरबस खुद अपने 3डी प्रिंटर्स से बड़े स्तर पर निर्माण करने लगेगा.
छोटे स्तर पर प्रेरणा
यह डायाटम की माइक्रोस्कोपिक तस्वीर है. डायाटम एक प्रकार का एल्गी है. इस सूक्ष्म जीव की संरचना भारी वजन सहने के लिए उपयुक्त है. निर्माण के सिद्दांतों में हमें इससे भी मदद मिलती है.
डायाटम मॉडल पर आधारित
रिसर्चरों ने इस हनीकोंब संरचना में डायाटम के मॉडल से प्रेरणा ली. हल्के वजन वाली चीजों के निर्माण में इस संरचना का इस्तेमाल होता है. इन संरचनाओं को 3डी प्रिंटर की मदद से प्लास्टिक से तैयार किया गया है.
बायोनिक विमान
यह पूरा विमान बायोनिक सिद्धांत का इस्तेमाल कर बनाया गया है. खाली ढांचा देखकर ऐसा लगता है जैसे जैविक रूप से तैयार हुआ हो, जैसे कोई पेड़. लेकिन यह फिलहाल एयरबस के शोध का हिस्सा है. ऐसे विमान में बैठने का सपना पूरा होने में कई दशक लग सकते हैं.
भविष्य का विमान
2016 से एयरबस जिन प्रिंटरों का इस्तेमाल करेगा वे केवल छेटो भाग ही प्रिंट कर सकेंगे, जिनकी लंबाई लगभग एक मीटर होगी. प्रिंटर से पूरा विमान निकलने का सपना जल्द साकार नहीं होने वाला. लेकिन छोटे भाग भी विमान को हल्का बनाने में खासे मददगार साबित होंगे. यानि भविष्य में विमान में ईंधन की खपत में कमी आएगी.