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प्रकृति का सुंदर अनुभव

२२ फ़रवरी २०१३

पाठक आजकल हमारी प्रतियोगिताओं में बड़े उत्त्साह से हिस्सा ले रहे हैं .पिछले दिनों जिन पाठकों से हमारा नाता टूट गया था, फिर से जुड़ रहा है और हमारी वेबसाइट पर वीडियो और लेखों की भी उन्होंने सराहना की है.

https://p.dw.com/p/17kEB
Bildtitel: Krokusse Bildbeschreibung: Lilafarbene Krokuse blühen Bildrechte: joopvandijk/flickr-CC-BY-SA 2.0 Bildquelle: http://www.flickr.com/photos/joopvandijk/6977248241/sizes/c/in/photostream/
तस्वीर: joopvandijk/flickr-CC-BY-SA 2.0

मुझे कल आपकी फोटो प्रतियोगिता के बारे में पता चला और मैं फोटो लेने के लिए निकल पड़ा. मैं सुबह 4 बजे उठा. मुझे अपने शहर में ही जीवन का बहुत अच्छा अनुभव हुआ. वहां हर तरह के रंग थे. ऐसे में ही मुझे प्रकृति की सुंदरता के बारे में पता चला. मुझे लगता है कि आपकी इस प्रतियोगिता का उद्देश्य भी यही था. प्रकृति का ऐसा सुंदर अनुभव देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. मेरे पास डिजिटल कैमरा तो नहीं है, फिर भी मैंने फोटो लेने का प्रयास किया है.

अनुराग नामदे, राजनंद गांव, छत्तीसगढ़

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रेडियो जर्मनी हिंदी सेवा से जो सिलसिला टूटा, सोचता हूं अब जोड़ लूं. इसलिए अब मैं फेसबुक के जरिए आपसे जुड़ गया हूं. कल मेरी बिटिया बड़े बड़े गुब्बारों की जिद कर रही थी, तो मुझे डीडब्ल्यू हिंदी की याद आ गयी. आपसे मुझे एक बार गुब्बारे मिले थे. क्या आप एक बार फिर से बैलूंस और प्रचार सामग्री भेज सकते हैं.

सचिन सेठी, उत्तम तिलक श्रोता संघ, करनाल, हरियाणा

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डायटिंग में चलेगा डाइट कोक - मुझे आपकी यह डाइट वाली स्टोरी बडी दिलचस्प लगी. वर्तमान में हर कोई सोचता है कि मैं कैसे अपना वजन कम करू. इतनी अच्छी रिपोर्ट के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
क्या हड़ताल से सुलझेगी समस्याएं - मैं भी हड़तालों के खिलाफ हूं. भारत में तो हमले बहुत आम बात हो गई है. कुछ लोग तो मूर्ख कारणों के लिए ही लोगों को इकट्ठा कर लेते हैं. मेरा सुझाव है कि आंदोलन तो बंद हो जाने चाहिए और यदि करना ही है तो शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें, जिससे लोगों को कोई हानि न हो.

बके हमीदुल्ला, डीडब्ल्यू लिस्नर्स क्लब, अनंतपुर, आंध्र प्रदेश

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कुदरत बनाम लालच - दरअसल यह शक्ति संपन्न होते जा रहे देशों का शगल है. उनके पास पैसा, संसाधन और ताकत है सो अपने देश की प्रगति के बाद वे कुछ नया करना जरूरी समझते हैं. ऐसे देश कहां कहां पर क्या कर सकें, इसके लिए संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं को आगे आना चाहिए. कुछ नियम और मापदंड़ बनाए जाने चाहिए ताकि धरती का अहित ना हो.

तेजपाल सिंह हंसपाल, रायपुर ,छत्तीसगढ़

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः ईशा भाटिया