प्याले में समाई दुनिया
१४ जुलाई २०१४जर्मन राजधानी बर्लिन में लाल, काले और सुनहरे रंग हवा में बिखरने लगे. जर्मन झंडे लहराने लगे. जर्मनी हल्की बारिश में इस अद्भुत क्षण को जीने लगा. रात 12 बजे अजीबोगरीब माहौल दिखने लगा. राजधानी बर्लिन की पब्लिक व्यूइंग में जमा लगभग दो लाख फुटबॉल फैन अचानक उछल पड़े और उनके मुंह से सिर्फ इतना निकला, "सुपर डॉयचलैंड.."
जर्मनी के एकीकरण का प्रतीक ब्रांडनबर्ग गेट राष्ट्रीय रंगों में नहा गया. 20 साल के कार्स्टन गेल्सर ने कहा, "यह जीत मेरे लिए बहुत अहम है. यह मेरी पहली जीत है." उनकी बात सही भी है. जर्मनी ने इससे पहले 1990 में वर्ल्ड कप जीता था, लेकिन तब वह पश्चिम जर्मनी के तौर पर खेला था.
ग्लासर कहते हैं, "जर्मनी एक टीम थी, अर्जेंटीना में सिर्फ मेसी थे." थॉर्स्टन किंशर 34 साल के हैं और उन्हें पिछली जीत का थोड़ा थोड़ा याद है. वह कहते हैं, "यह जीत एकीकृत जर्मनी के लिए बहुत अहम है. यह बताता है कि हम सचमुच एक साथ हैं."
इस जगह पर दो लाख लोगों के जमा होने का इंतजाम था लेकिन मैच शुरू होने से पहले ही इससे ज्यादा लोग जुट गए. बीच बीच में हल्की बारिश भी हो रही थी लेकिन जर्मन फैन्स को इससे कोई परवाह नहीं थी. खोमचे वालों की दुकानें जम कर चल रही थीं, जहां करी वुर्स्ट और बीयर की खासी बिक्री हो रही थी.
आम तौर पर दागदार इतिहास की वजह से जर्मनी में राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन आम नहीं है लेकिन वर्ल्ड कप के दौरान लोगों ने काले, लाल और सुनहरे रंग को खूब लपेटा. अपनी कारों पर भी इसके झंडे लगाए और दुकानों पर भी. एनेटे फोल्कर का कहना था कि जर्मन जर्सी पर चौथे सितारे के लिए 24 साल का इंतजार करना पड़ा, "एकीकृत जर्मनी के लिए यह एक शानदार टूर्नामेंट रहा. इससे हमें कहीं बड़ी एकता का अहसास हो रहा है."
जर्मनी ने इस खिताब को पाने के दौरान विश्व चैंपियन रह चुके अर्जेंटीना, फ्रांस और ब्राजील को परास्त किया.
एजेए/एमजी (एएफपी)