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"पेनल्टी शूट में इंसाफ नहीं होता"

१६ दिसम्बर २०१०

फुटबॉल के पेनल्टी शूट आउट में जो टीम पहले शॉट लेती है, उसे मनोवैज्ञानिक फायदा पहुंचता है. इस तरह पेनल्टी से होने वाले फैसले सही इंसाफ नहीं हैं. इसे टेनिस टाई ब्रेक जैसा करने की वकालत.

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पेनल्टी बचाता ब्राजीली गोलकीतस्वीर: AP

दुनिया भर में प्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फुटबॉल के लिए पेनल्टी शूटआउट मनोवैज्ञानिक नफे नुकसान का सौदा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर टाई ब्रेक जैसा नियम अपनाया गया, तो शायद दो शॉट एक साथ मारने की इजाजत मिल सकती है और ऐसे में फैसला बेहतर हो सकता है.

प्रोफेसर इगनासियो पालासियो-हुएर्ता और बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के उनके साथी खोसे अपेसतेगुइया ने लगभग 40 साल के हजारों पेनल्टी किक देखने के बाद यह नतीजा निकाला. इन दोनों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1970 से 2008 के बीच खेले गए मैचों के 2820 किक देखे और उन पर रिसर्च किया.

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तस्वीर: AP

उन्होंने पाया कि जिस टीम को पहले किक लेने का मौका मिलता है, 60 प्रतिशत मामलों में जीत उसी की होती है, जबकि बाद में पेनल्टी लेने वाली टीम सिर्फ 40 फीसदी मौकों पर जीत हासिल कर पाई.

पालासियो-हुएर्ता ने कहा, "मैच के बाद पेनल्टी के लिए जिस वक्त टॉस किया जाता है, ज्यादातर टेलीविजन चैनल विज्ञापन दिखाने लगते हैं. टॉस से तय होता है कि कौन सी टीम पहले किक लेगी. हमारी रिसर्च कहती है कि ड्रॉ खेले गए मैच के बाद इसी क्षण फैसला हो जाता है."

उन्होंने कहा, "टॉस जीतने वाली टीम को 20 प्रतिशत का लाभ मिल जाता है. दूसरी टीम पर इस बात का साफ मनोवैज्ञानिक दबाव दिखता है कि वे कहीं पिछड़ न जाएं."

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तस्वीर: AP

रिसर्च टीम ने 20 मैचों का टॉस देखा और सिर्फ एक को छोड़ कर टॉस जीतने वाले ने पहले किक लेने का फैसला किया. लेकिन उस एक टीम का किस्सा भी मजेदार है. 2008 में यूरोपीयन लीग के दौरान इटली और स्पेन के बीच खेले गए मैच में इटली ने टॉस जीता और बाद में किक लेने का फैसला किया. लेकिन जीत पहले किक लेने वाले स्पेन की ही हुई.

लगभग 96 प्रतिशत बार टॉस जीतने वाली टीमों ने पहले किक लेने का फैसला किया और उनका तर्क भी यही रहा कि इससे दूसरी टीम पर दबाव बनाया जा सकेगा. उन्होंने 240 खिलाड़ियों के साथ इंटरव्यू भी किया और उनमें से भी ज्यादातर की यही राय रही कि टॉस जीतने के बाद वे पहले किक लेना चाहेंगे.

पालासियो-हुएर्ता ने कहा, "मुझे लगता है कि फीफा और यूएफा को भी यह अच्छा नहीं लगेगा कि टॉस के साथ ही मैच का 60-40 के अनुपात में फैसला हो जाता है." उन्होंने सुझाव दिया है कि टेनिस की तर्ज पर टाई ब्रेक जैसा नियम बनाया जा सकता है. टाई ब्रेक में पहला खिलाड़ी एक सर्विस करता है, फिर दूसरा दो, फिर पहला दो, फिर दूसरा दो और इस तरह खेल बढ़ता रहता है.

उनका कहना है कि अगर ए और बी टीमों के बीच फुटबॉल में पेनल्टी शूट होना है, तो उन्हें इस तरह 10 किक मिलने चाहिएः ,बी,बी,,ए.बी,बी,,,बी.

वैसे फुटबॉल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है और पिछले 100 सालों में इसके नियमों में न के बराबर बदलाव हुआ है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः आभा एम