पृथ्वी के बदलाव की तस्वीरें
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक प्राकृतिक आपदाओं को टालने के लिए हमें ग्लोबल वॉर्मिंग के स्तर को ज्यादा से ज्यादा 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना होगा. नुकसान किस हद तक हो चुका है, ये तस्वीरें साफ कहती हैं...
नर्क सी आग
सितंबर में कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए 10,500 दमकलकर्मियों की मदद लेनी पड़ी. कोशिशों के बावजूद वे बड़े इलाके और 1400 घरों को आग की जद में आने से बचा नहीं पाए. यह आग जलवायु परिवर्तन के कारण शुष्क और गर्म मौसम का नतीजा थी.
शिकार की मारामारी
पोलर बियर जलवायु परिवर्तन का प्रतिबिंब सा बन गया है. सबसे ज्यादा इन्हीं के ठंडे इलाकों के घरों पर असर पड़ा है. आर्कटिक की बर्फ तेजी से घट रही है. इससे इन्हें शिकार में भी दिक्कत आ रही है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसे ही रहा तो 2050 तक आर्कटिक में गर्मियों के मौसम में बर्फ नहीं दिखेगी.
नुकसान की हद
ऊंचाई से देखने पर नॉर्वे के श्पित्सबैर्गेन इलाके में एक छोटी सी लकड़ी की झोपड़ी ही दिखाई देती है. यह आर्कटिक रिसर्च बेस है जहां जर्मन और प्रांसीसी वैज्ञानिक ध्रुवीय इलाकों में जलवायु और वायुमंडलीय परिवर्तनों को समझ रहे हैं.
बदलते मंजर
यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल स्विस ग्लेशियर आलेच समय के साथ सिकुड़ रहा है. 1860 में इसकी लंबाई वर्तमान से करीब एक किलोमीटर ज्यादा थी. ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण यह हिमखंड हर साल 50 मीटर सिकुड़ रहा है. वैज्ञानिकों को डर है कि यूरोप का सबसे बड़ा ग्लेशियर एक दिन पूरी तरह खत्म हो सकता है.
निश्चित दूरी से
दूर से देखने पर जादुई रोशनी में जगमगाता इलाका. लेकिन असलियत कुछ और है. एरियल व्यू देखने पर पता चलता है कि फिलीपींस का सेंट्रल ल्यूजोन इलाका तूफान और भारी बरसात के बाद किस बरबादी से गुजरा है. इन तूफानों में हजारों लोग बह गए या जमीन में दफ्न हो गए. फिलीपींस में हर साल करीब 20 तूफान आते हैं.
जान का खतरा
सब कुछ खो जाने के बाद खुद की जान बचाकर भागना ही रास्ता रह जाता है. विश्व बैंक की चेतावनी के मुताबिक अगर ग्लोबल वॉर्मिंग यूं ही बढ़ती रही तो सबसे ज्यादा खतरा अफ्रीका और दक्षिणी एशिया के लोगों की जान को होगा. सूखे और बाढ़ से फसलों को नुकसान होगा, भुखमरी, महामारियां और महंगाई की मार टाली नहीं जा सकेगी.
बच्चों पर बोझ
जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को होता है. सूखे और बाढ़ से होने वाली आर्थिक तंगी उनके भविष्य को प्रभावित करेगी. महंगाई में परिवार घर के सदस्यों को कम करने के लिए अपनी लड़कियों की शादियां जल्दी करने पर उतारू होंगे.
व्यापार में नुकसान
राइन नदी यूरोप में सबसे व्यस्त जलमार्ग है. लेकिन जलवायु परिवर्तन से व्यापार भी प्रभावित हो रहा है. लगातार सूखे की स्थिति में शिपिंग कंपनियां छोटे जहाज ले जाने को मजबूर हो जाती हैं जो कम पानी में आसानी से चल सकें. ऐसे में काफी माल सड़क के रास्ते भेजना पड़ता है.
भूतिया तस्वीर
स्वस्थ कोरल किसी बगीचे से दिखते हैं. लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण उनके जीवन पर भी असर पड़ा है. अगर पानी का तापमान लगातार ऊपर रहता है तो कोरल को पोषण की कमी हो जाती है. उनका रंग फीका पड़ जाता है और वे मर जाते हैं.
उत्तर में विनयार्ड
ग्लोबल वॉर्मिंग का एक फायदा भी हुआ है. हाल के सालों में जर्मनी के सबसे उत्तरी द्वीप सिल्ट पर वाइन बनाई जा रही है. तापमान बढ़ने से कई उत्तरी इलाकों में अंगूर की खेती संभव हो सकी है. अंगूर की फसल जल्दी और ज्यादा मीठी भी मिल रही है.