1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पुलिस पर बढ़ते हमले: रक्षक खुद ही सुरक्षित नहीं

विश्वरत्न श्रीवास्तव९ सितम्बर २०१६

पुलिस पर नागरिकों की सुरक्षा का भार होता है लेकिन महाराष्ट्र के पुलिसकर्मियों को खुद अपनी सुरक्षा की चिंता है. हाल के दिनों में पुलिसकर्मियों पर हमले बढ़ने से सत्ता और विपक्ष दोनों में चिंता है.

https://p.dw.com/p/1JzDT
Indien, Studentenproteste in Neu Delhi
तस्वीर: UNI

मुंबई से सटे कल्याण में एक पुलिस अधिकारी को गणपति विसर्जन के दौरान मामूली विवाद के बाद को डुबाकर मारने का प्रयास किया गया. मामला सिर्फ इतना था कि ड्यूटी पर तैनात सब इंस्पेक्टर नितिन डगले व्यवस्था बनाये रखने के लिए कुछ गणेश मंडलों को तेज ढोल बजाने से रोका. इससे नाराज कुछ लोगों ने नितिन डगले से बहस और हाथापाई की. चार लड़कों ने उन्हें पानी में धक्का दे दिया और डुबाने का प्रयास किया. बमुश्किल नितिन डगले अपनी जान बचा पाने में कामयाब हुए.

मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में पिछले एक पखवाड़े में इस तरह के सात मामले सामने आये हैं. बांद्रा में ऐसे ही एक हमले में मुंबई यातायात पुलिस के कांस्टेबल विलास शिंदे की मौत हो चुकी है. विलास शिंदे ने भी अपना कर्तव्य निभाने की कोशिश की थी. बिना हेल्मेट के वाहन चलाने से रोके जाने पर दो युवकों ने विलास पर निर्ममतापूर्वक हमला किया, हमले के आठ दिन दिन बाद 31 अगस्त को उनकी मौत हो गई.

इसी तरह नासिक में ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी ने जब अतिरिक्त सवारी बैठाकर ले जा रहे एक ऑटो रिक्शा को रोकने की कोशिश की तो पुलिसकर्मी को कुचलने की कोशिश की गयी. पुलिस के उत्पीड़न का एक मामला जालना से भी आया है, इसमें आरोप सत्ताधारी भाजपा विधायक पर लगा है. पुलिसकर्मी विद्यानंत काले ने स्थानीय भाजपा विधायक नारायण कूचे पर प्रताड़ना और उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए परिवार सहित आत्महत्या करने की धमकी दी है.

पुलिस पर हुए इन हमलों से पुलिस विभाग में भी नाराजगी है. राज्य के पुलिस महानिदेशक सतीश माथुर ने लोगों से कहा है कि वे बिना वजह पुलिस से न भिड़ें. सतीश माथुर का कहना है, “पुलिस पर हमला, समाज पर हमला है. लोग संयम बरतें पुलिस समाज के लिए है. पुलिस पर हाथ उठाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी."

चिंतित पत्नियों ने की मुख्यमंत्री से मुलाकात

मुंबई सहित राज्य में पुलिस वालों पर हमला करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग को लेकर चिंतित पुलिसकर्मियों की पत्नियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने किया. मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात के बाद उद्धव ने कहा, “इस गंभीर मुद्दे पर मुख्यमंत्री का रुख सकारात्मक था और उन्होंने हमारी सभी मांगों पर ध्यान देने का वादा किया.” इस अवसर पर उद्धव ने मुख्यमंत्री से कहा कि जो पुलिस लोगों की सुरक्षा करती है, अब उसी पर हमला होने लगा है, इन परिस्थितियों में पुलिस किस तरह अपनी सुरक्षा करेगी और आम लोग स्वयं को कैसे सुरक्षित महसूस करेंगे.

मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि पुलिस वालों की हर तरह की समस्याओं को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. इस समिति में उच्च पुलिस अधिकारियों के साथ पुलिस परिवार के लोग भी रहेंगे, जिससे हर तरह की समस्याओं को हल जल्द ही निकला जा सकेगा.

विपक्ष का हमला

पुलिस पर बढ़ते हमले से जनता के बीच गलत सन्देश जाने का डर जताते हुए विपक्ष ने भाजपा-शिवसेना सरकार को घेरा है. विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने भाजपा-शिवसेना के सत्ता में आने के बाद पुलिस पर हमले बढ़ने की बात कही. विखेपाटील ने आंकड़े सामने रखते हुए कहा कि 2014 में पुलिसकर्मियों पर हमले की 202 घटनाएं हुई थी. 2015 में 284 और 2016 के पहले पांच महीनों में ही पुलिस वालों पर 135 हमले हो चुके हैं. विखेपाटील ने भाजपा-शिवसेना पर पुलिस कांस्टेबल की शहादत पर राजनीति करने का आरोप आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ताधारी दल के विधायक खुद पुलिस वालों को थप्पड़ मारते हैं.

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पुलिस पर बढ़ रहे हमलों से परेशान हैं. पर, यह खुला रहस्य है कि पुलिस पर हमला करने वालों को किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी का संरक्षण हासिल होता है. समय रहते अगर यह पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को पुलिस से उलझने से नहीं रोक पायीं तो पुलिस के साथ साथ जनता का मनोबल भी टूटेगा.