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पुलिस को मारने वाले प्रवासियों की नागरिकता खत्म होः सारकोजी

७ सितम्बर २०१०

फ्रांस के राष्ट्रुपति निकोला सारकोजी चाहते हैं कि पुलिस और सरकारी कर्मचारियों की हत्या या हत्या की कोशिश करने वालों की नागरिकता छीन ली जानी चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा विदेशी मूल के अपराधियों के खिलाफ उनकी मुहिम जारी रहेगी.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

विदेशी मूल के लोगों के खिलाफ फ्रांस में चल रही कार्रवाई पर दुनिया में मची हायतौबा पर अपना रुख साफ करते हुए राष्ट्रपति सारकोजी ने कहा कि वो अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि विदेशी मूल के फ्रांसीसी नागरिकों के कई बीवियां रखने का अपराध साबित होने पर भी उनकी नागरिकता नहीं छीनी जाएगी. इसकी जगह सरकार कानून बनाकर लोगों को एक से ज्यादा बीवियां रखने के फायदे लेने से उन्हें रोकेगी. राष्ट्रपति के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार कानून बना रही है और इस साल के अंत तक इन्हें लागू भी कर दिया जाएगा.

कानून बनते ही जजों को ये अधिकार होगा कि वो फ्रांस की नागरिकता मिलने के 10 साल के भीतर पुलिस या सरकारी कर्मचारी की जान को नुकसान पहुंचाने वाले की नागरिकता छीन ले. सरकार इस बात के लिए भी कानून बनाने की तैयारी में है कि विशेष परिस्थिति में जरूरत पड़ने पर विदेशियों को उनके देश वापस भेजा जा सके. इसमें यूरोपीय संघ के नागरिख भी शामिल हैं. इसमें वो प्रवासी शामिल हैं जिनके पास निश्चित आमदनी की कोई जरिया नहीं या जो दूसरों के अधिकारों छीनते हैं या फिर वो लोग जो कानून व्यवस्था बनाए रखने में अड़चन डालते हैं.

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फ्रांस की कार्रवाई के खिलाफ बेलग्रेड में प्रदर्शनतस्वीर: AP

राष्ट्रपति के बयान में किसी खास देश या समुदाय का जिक्र नहीं है लेकिन यह रोमानियाई और बुल्गारियाई रोमा जिप्सियों को उनके देश भेजने के पुलिस को दिए आदेश के बाद आया है. हजारों की संख्या में पूरे फ्रांस में रोमाओं को निशाना बनाने के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. कम संख्या में ही सही लेकिन राजधानी में भी कुछ लोग विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर निकले.

फ्रांस की सरकार के मंत्रियों का कहना है कि इस तरह से लोगों को उनके देश भेजना यूरोपीय कानून के हिसाब से सही है लेकिन पूरी दुनिया और संयुक्त राष्ट्र ने फ्रांस के इस कदम की आलोचना की है. यूरोपीय संघ के जानकारों ने भी इस कदम को सामूहिक सज़ा कहा है. फ्रांस के प्रवासी मामलों के मंत्री एरिक बेसॉन ने इस बात से इनकार किया कि फ्रांस में लोगों को सामूहिक देश निकाला देने के आरोपों से इनकार किया. बेसॉन का कहना है कि रोमा अपनी मर्जी से देश के बाहर जा रहे हैं और इसके बदले उन्हें पैसा मिल रहा है. बेसॉन ने ये भी कहा कि सारा काम यूरोपीय संघ के कानून के मुताबिक हो रहा है. बेसॉन ने कहा कि नागरिकता देने या छीनने के लिए कानून बनाने का काम गहरी छानबीन के बाद ही होगा और इसे फ्रांस की सबसे ऊंची कानूनी अथॉरिटी स्टेट काउंसिल की भी मंजूरी लेनी पड़ सकती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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