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पार्ट टाइम पर निर्भरता बढ़ी

२३ अगस्त २०१३

यूरोप में आर्थिक और वित्तीय संकट के कारण एक ओर बच्चों को कमाने पर मजबूर होना पड़ रहा है तो एक सर्वे के अनुसार आधे से ज्यादा नौकरीशुदा लोग जरूरी खर्च पूरा करने के लिए पार्ट टाइम काम करने को मजबूर हैं.

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तस्वीर: Fotolia/easyshooting.de

यूरोप परिषद के मानवाधिकार कमिश्नर नील्स मुइत्सनीक्स ने बाल मजदूरी पर अपनी रिपोर्ट में कहा है, "खासकर उन देशों में जोखिम है जो बचत कार्यक्रम से बुरी तरह प्रभावित हैं." इनमें साइप्रस, ग्रीस, इटली और पुर्तगाल शामिल हैं. मुइत्सनीक्स ने शिकायत की है कि अब तक बाल मजदूरी पर सही आंकड़े नहीं हैं क्योंकि कोई जांच नहीं की गई है. उनके अनुसार अधिकांश यूरोपीय देशों में बाल मजदूरी पर उचित कानून हैं, लेकिन उसके पालन की पर्याप्त जांच नहीं की जाती है. उन्होंने कहा कि सामाजिक और शैक्षिक सबसिडी में कटौती के बच्चों पर असर की जांच करना जरूरी है.

एक से ज्यादा नौकरी

मुइत्सनीक्स का कहना है कि पूर्वी यूरोप में बाल मजदूरी के बारे में ज्यादा जानकारी है. वहां की स्थिति नाटकीय है. जॉर्जिया में सात से चौदह साल की उम्र के 29 फीसदी बच्चे अपने परिवारों की आय में योगदान देते हैं. अलबानिया में उनकी तादाद 19 प्रतिशत है. रूस की सरकार के अनुसार वहां 10 लाख बच्चे काम करते हैं. मुइत्सनीक्स का कहना है, "इनमें से बहुत से बच्चे खेती, निर्माण, कारखानों या सड़कों पर अत्यंत खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं."

बहुत से यूरोपीय देशों में लगातार जारी वित्तीय संकट और बेरोजगारी के कारण लोगों को लचीलापन दिखाना पड़ रहा है और उन्होंने स्थायी नौकरी की उम्मीद छोड़ दी है. अतिरिक्त आय पर कराए गए एक सर्वे के अनुसार 50 फीसदी नौकरीशुदा लोग अपनी नियमित नौकरी के अतिरिक्त दूसरी जगह पार्ट टाइम जॉब करते हैं. सर्वे के लिए पूछे गए लोगों में से 69 प्रतिशत ने माना कि उन्हें अपना रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए पार्ट टाइम काम करना पड़ता है.

काम में आजादी

हैर्बालाइफ के इस सर्वे में दस यूरोपीय देशों के 5000 नौकरीशुदा लोगों ने हिस्सा लिया. इसमें इन लोगों के नौकरी के मॉडलों और उनकी इच्छा के बारे में पूछा गया था. नौकरी से व्यक्तिगत उम्मीदों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब जर्मनी में दूसरे देशों से अलग हैं. दिलचस्प बात यह है कि जर्मनी में उचित वेतन का मुद्दा दूसरे देशों की तरह पहले नंबर पर नहीं है. सिर्फ 45 फीसदी लोग इसे जरूरी मानते हैं. 68 प्रतिशत लोग काम में आजादी चाहते हैं जबकि 56 प्रतिशत लोग काम के समय में लचीलापन चाहते हैं. खासकर बुजुर्ग कर्मचारी चाहते हैं कि वे देर से काम शुरू कर सकें और देर तक रह सकें, जबकि युवाओं का 66 प्रतिशत ट्रेनिंग की संभावना चाहता है.

Bettlerin in Tirana Albanien
यूरोप में गरीबीतस्वीर: DW / Cama

जर्मन नागरिकों का बड़ा बहुमत अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त आय का इस्तेमाल करता है. यह दिखाता है कि देश में 57 फीसदी लोग जरूरी खर्च तभी पूरा कर सकते हैं, जब उनकी अतिरिक्त आय हो. 32 प्रतिशत लोग अतिरिक्त आय का इस्तेमाल छुट्टी और ट्रेनिंग के लिए करते हैं. दुनिया की प्रमुख डाइरेक्ट मार्केटिंग कंपनी हैर्बालाइफ के कंट्री मैनेजर एरिक डेप्पे का कहना है कि जर्मनी में उन्होंने इस नतीजे की उम्मीद नहीं की थी. "हमें हैरानी हुई कि कितने सारे जर्मन अतिरिक्त आय को मौजूदा काम के जीवन का सामान्य हिस्सा मानते हैं."

पार्ट टाइम जॉब की कमी

50 प्रतिशत से ज्यादा जर्मनों को लगता है कि पार्ट टाइम जॉब पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं. यह इस बात का संकेत है कि और ज्यादा लोग इस विकल्प का इस्तेमाल करना चाहते हैं. जर्मनों का 77 प्रतिशत जो पार्ट टाइम जॉब से अतिरिक्त आय कमाता है, अपने दोस्तों और परिवारवालों को भी इसकी सलाह देगा. हालांकि ये लोग ऐसा भी मानते हैं कि आय को बेहतर करने के मौके नहीं हैं.

जर्मनी के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन, इटली, नीदरलैंड्स, पोलैंड, चेक गणतंत्र, रोमानिया और स्लोवेनिया में कराए गए इस सर्वे से यह पता चला है कि इन देशों में 18 से 25 साल की उम्र के 54 प्रतिशत लोग नियमित काम के अलावा पार्ट टाइम जॉब भी करते हैं. इसके विपरीत 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का 45 प्रतिशत ही नौकरी के अलावा अतिरिक्त कमाई कर पा रहा है. अतिरिक्त कमाई करने वालों का बड़ा हिस्सा मध्यवर्ग का है, लेकिन हकीकत यह भी है कि सभी वर्ग के लोग दूसरी कमाई पर निर्भर हैं.

रिपोर्टः महेश झा (ओटीएस)

संपादनः आभा मोंढे

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