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पाताल से आएगा पानी

३ जून २०१६

उपजाऊ धरती, चरागाह और घास के मैदान. लेकिन असली खजाना धरती के ऊपर नहीं बल्कि गहराई में, उसके गर्भ में है. और वह है पानी. क्या इस पानी को ऊपर लाया जा सकता है.

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Francisco Franco Wasserbrunnen
तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारी मशीनों की मदद से भूविज्ञानी धरती के गर्भ में छुपे पानी के भंडार को खोजते हैं. अत्यंत कीमती जलाशयों को खोजने की कुंजी सिसमिक तकनीक में छुपी है. ये ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी को परत दर परत ध्वनि की तरंगों के जरिए परखा जाता है. जांच शुरू करने से पहले इलाके की मैपिंग की जाती है और उसे नापा जाता है. फिर योजना के हिसाब से नापने के यंत्र तारों सहित इलाके में लाए जाते हैं.

कंपन से पानी का पता

वाइब्रो ट्रक कंपनों से भरी ध्वनि तरंगें पैदा करते हैं. 20 टन की ताकत से वे धरती की गहराई में वाइब्रेशन भेजते हैं. धरती के नीचे पत्थरों की परत उन तरंगों को परावर्तित करती है. रिसर्चरों को इससे महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है.

तैरता आशियाना

इंजीनियर बैर्न्ड हिल्डेब्रांट इस प्रक्रिया को समझाते हैं, "इसकी तुलना डॉक्टर के यहां अल्ट्रा साउंड जांच से की जा सकती है. ध्वनि तरंगें ऑब्जेक्ट में भेजी जाती हैं जो वहां की परतों से टकरा कर वापस लौटती हैं जिन्हें मशीन की मदद से दो या तीन आयामी तस्वीरों में बदला जाता है."

एक कंटेनर में साउंड वेव का विश्लेषण किया जाता है. डाटा की मदद से रिसर्चरों को पता चलता है कि पत्थरों में पानी है या नहीं. ये मॉडल बताता है कि करीब 4000 मीटर यानि चार किलोमीटर नीचे पानी से भरी पत्थर की परतें हैं. जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर चढ़ रहा है. यूरोप का तटीय क्षेत्र भी समुद्र स्तर में वृद्धि से प्रभावित है. जलस्तर में वृद्धि का नतीजा यह हो रहा है कि समुद्र का खारा पानी निरंतर भूभाग के अंदरूनी हिस्से में प्रवेश कर रहा है और पीने के पानी और भूजल को प्रभावित कर रहा है.

कैसे किया जाता है अंतर

खारे पानी और मीठे पानी में अंतर करने के लिए वैज्ञानिक हवा में जा रहे हैं. हेलिकॉप्टर में लगा एक सेंसर इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगों की मदद से जमीन की कंडक्टिविटी की जांच करता है. इससे भूविज्ञानियों को पता चल जाता है कि जमीन के अंदर कैसा पानी है. इस तरह समुद्री जल के आने से फैले खारेपन को पहचाना जा सकता है. यह तरीका दुनिया भर में काम कर रहा है.

क्यों फैल रहे हैं समुद्र

प्रयोगशालाओं में रिसर्चर सिमुलेट करते हैं कि जमीन के अंदर खारा और मीठा पानी कैसे बहता है. उन्हें अलग अलग रंगों में रंगा जाता है. उनकी संरचनाओं की मदद से भूविज्ञानी जान सकते हैं कि पानी जमीन में किस तरह समाता है. इस जानकारी की मदद से पेयजल निकालते समय खारे पानी से बचा जा सकता है. धरती के सूखे इलाकों के लिए ये जानकारी अनमोल है. हालांकि यहां भी मूल्यवान नमी धरती के भीतर छुपी है. हाल ही में नामीबिया में भूविज्ञानियों ने धरती के नीचे एक विशाल जलाशय की खोज की है. यदि वहां से पानी निकाला जा सके तो नामीबिया की 40 फीसदी जनता को कम से कम 400 साल तक बिना किसी परेशानी के पीने का पानी नसीब होता रहेगा.

एमजे/ओएसजे