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'पाक पर चीनी असर और भारत की फिक्र बढ़ेगी'

१९ जुलाई २०१०

एक जानेमाने थिंक टैंक का मानना है कि आने वाले बरसों में ’अस्थिर’ पाकिस्तान पर चीन का प्रभाव और बढ़ेगा. उनके बीच परमाणु और सैन्य सहयोग और गहरा होगा. यह भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है.

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भारत-पाक रिश्तों पर चीन का असर बढ़ेगातस्वीर: AP

नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्ट्डीज एंड ऐनालिसिस (आडीएसए) की ताजा रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में पाकिस्तानी सरकार और सेना की चीन पर निर्भरता और बढ़ेगी. रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन के बढ़ते असर से भारत को सतर्क रहना चाहिए. इस रिपोर्ट का शीर्षक हैः "पाकिस्तान किस ओर? बढ़ती अस्थिरता और इसका भारत पर असर."

हाल ही में चीन के सरकारी मीडिया ने खबर दी थी कि चीन पाकिस्तान में 650 मेगावॉट के दो परमाणु रिएक्टर लगाने में आर्थिक मदद कर रहा है. भारत और अमेरिका इस बात से खुश नहीं थे लेकिन चीन को इसकी परवाह नहीं है. वह पाकिस्तान सेना के साथ अपने संबंधों को और मजबूत बनाना चाहता है. दोनों देश मिलकर एक आधुनिक लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है पाकिस्तान में लंबे समय से बनी अस्थिरता का असर कुछ ऐसा हो सकता है कि वहां छोटे छोटे नए इलाके बन जाएं. और यह अस्थिरता देश को तोड़ भी सकती है. रिपोर्ट कहती है, “पाकिस्तान में कई छोटे-छोटे अल्पसंख्यक समुदाय हैं. अगर ये सब बरेलवी मुसलमानों के साथ मिलकर तालिबान के खिलाफ संघर्ष शुरू कर देते हैं तो पाकिस्तान में कई छोटे छोटे नए इलाके बन जाएंगे.”

हाल ही में बरेलवी मुसलमानों, शियाओं कुछ अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के धार्मिक स्थलों पर आतंकी हमले हुए हैं. पहली जुलाई को ही लाहौर में हजरत अली हाजवेरी की दरगाह दाता दरबार साहब में दो आत्मघाती हमले हुए थे. इन हमलों में 45 लोगों की जानें गई थीं और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

रिपोर्ट कहती है कि अगर पाकिस्तान में इसी तरह संघर्ष जारी रहा तो सत्ता के कई केंद्र बन जाएंगे, जिनमें सबसे ज्यादा अहमियत सेना की होगी. चूंकि सेना के सामने पाकिस्तान और अपनी पहचान बचाने का लक्ष्य होगा तो यह और ज्यादा आक्रामक हो सकती है. इससे परमाणु हथियारों को लेकर एक दूसरे को डर दिखाने का खतरा और बढ़ेगा.”

रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि भारत को पाकिस्तान की सेना के साथ संपर्क बढ़ाने चाहिए. अलग अलग स्तरों पर बातचीत से भारत को पाक सेना के नजरिए को समझने में आसानी होगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार