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पाक ने मीडिया को दिखाई एलओसी, 'हमारी सुरक्षा भेदना मुश्किल'

३ अक्टूबर २०१६

सर्जिकल स्ट्राइक के भारत के दावे को कमजोर करने के लिए पाकिस्तान ने विदेशी पत्रकारों को नियंत्रण रेखा का दौरा कराया है. पाकिस्तान का कहना है कि उसने सरहद पर इतना पुख्ता इंतजाम किया है कि उन्हें भेदना मुमकिन ही नहीं है.

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Pakistan Schusswechsel und Explosionen auf Universitätscampus in Charsadda
तस्वीर: Reuters/F. Aziz

पाकिस्तानी सेना के अधिकारी नियंत्रण रेखा के पास ऊंची पहाड़ी पर जंगलों के बीच बनी भारतीय सेना की पोस्ट की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि नियंत्रण रेखा को पार करके पाकिस्तानी इलाके में घुसना संभव ही नहीं है. पाकिस्तानी सेना भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दावों को लगातार खारिज कर रही है और इसी कड़ी में वह कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों से जुड़े पत्रकारों को हेलीकॉप्टर के जरिए नियंत्रण रेखा के पास ले कर गई. भारत का कहना है कि सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान उसके कमांडो पाकिस्तान में तीन किलोमीटर अंदर तक घुसे थे.

अगर भारत का दावा सही है तो ये पाकिस्तानी सेना के लिए एक बड़ा धक्का है. इससे पहले 2011 में अमेरिकी सेना की एक विशेष टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना की अनुमति के बिना एबटाबाद में कार्रवाई करते हुए अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारा था.

पाकिस्तानी सेना शनिवार को पत्रकारों को नियंत्रण रेखा के पास लेकर गई. भारतीय सेना प्रमुख दलबीर सुहाग की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल कमांडो को बधाई दिए जाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने ये कदम उठाया है. पाकिस्तान भारत के दावों को पूरी तरह खारिज करता है. उसका कहना है कि दो पाकिस्तानी सैनिक किसी सर्जिकल स्ट्राइक में नहीं बल्कि सीमा पर होने वाली गोलाबारी में मारे गए.

ये हेलीकॉप्टर पत्रकारों को उन सेक्टरों तक ले गया जो सिर्फ नियंत्रण रेखा से दो किलोमीटर दूर है. यहां से वो जगह दूर नहीं है जहां भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक में चार आंतकवादी शिविरों को नष्ट करने का दावा किया. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिम बाजवा ने हरी भरी बंडाला घाटी की तरफ इशारा करते हुए कमांड पोस्ट से कहा, "आप देख सकते हैं कि किस तरह की किलेबंदी गई है और पाकिस्तान ने किस तरह अलग अगल स्तरों वाले सुरक्षा उपाय किए हैं.. और किस तरह उन्होंने अपने लिए ऐसे ही उपाय किए हैं.. ऐसे में एलओसी का उल्लंघन नहीं हो सकता है.”

उन्होंने कहा, "उन्होंने हमें नुकसान पहुंचाया और हमें पता ही नहीं चला कि ऐसा कुछ हुआ है! आप जाकर आम लोगों से पूछ सकते हैं. हम तो संयुक्त राष्ट्र मिशन, मीडिया और आम जनता सबके लिए खुले हैं.”

पाकिस्तानी कश्मीर में बतौर पत्रकार काम करने वाले और तत्ता पानी सेक्टर के निवासी 37 वर्षीय सरदार जावेद का कहना है कि उन्होंने भी किसी कार्रवाई के कोई सबूत नहीं देखे हैं. वह कहते हैं, "मैं यह नहीं कहता कि ये सच नहीं है, जैसा कि सेना कह रही है. बल्कि मैं एलओसी के पास ही रहता हूं और मैं एक स्थानीय पत्रकार हूं. यहां खबर बहुत तेजी से फैलती है और कुछ भी होता है तो लोगों को पता चल जाता है.”

पहाड़ों से घिरे कश्मीर को दुनिया के सबसे खतरनाक मोर्चों में से एक माना जाता है, जहां भारत और पाकिस्तान एक दूसरे पर नजर रखते हैं. 1972 में दोनों देशों के बीच एक अस्थायी सीमा यानी नियंत्रण रेखा को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन दोनों ही पक्ष पूरे कश्मीर पर अपना दावा जताते हैं.

रिपोर्ट: एके/वीके (एएफपी)