1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पाक के नये आर्मी चीफ बदलेंगे भारत के बारे में नीति?

२९ नवम्बर २०१६

बतौर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के कार्यकाल में भारत के साथ लगातार तनाव बना रहा. अब उनके रिटायरमेंट के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत को लेकर पाकिस्तान की नीति में कोई बदलाव आएगा?

https://p.dw.com/p/2TORc
Pakistan Qamar Javed Bajwa
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/M. Yousuf

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तुरंत भारत को लेकर नीति में किसी भी तरह के बदलाव से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि नए सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा मौजूदा नीति में अचानक कोई बड़ा फेरबदल करेंगे. उन्होंने समाचार चैनल जियो न्यूज को बताया, "सेना की यही नीति जारी रहेगी और तुरंत कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. जनरल राहील शरीफ की विरासत को ही आगे बढ़ाया जाएगा, खासकर उन्होंने जो मिसालें कायम की हैं.”

तीन साल तक पद पर रहने के बाद जनरल राहील शरीफ रिटायर हो गए. वह आम लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे. लेकिन उनके कार्यकाल में भारत के साथ तनाव और पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार के साथ सेना के मतभेद अकसर सुर्खियों में रहे. राहील शरीफ बीते 20 साल में पाकिस्तान के ऐसे पहले सैन्य प्रमुख हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल खत्म होने पर पद छोड़ दिया है.

पाकिस्तान में हिंदुओं के अलावा और कौन अल्पसंख्यक हैं, जानिए

बाजवा सेना प्रमुख पद के अहम दावेदारों में शामिल थे. लेकिन उनके बारे में सार्वजनिक तौर पर बहुत ही कम जानकारी मौजूद है. भारत के साथ संबंधों और घरेलू स्तर पर चरमपंथी से निटपने समेत मुख्य मुद्दों पर उनका वैचारिक रुख क्या है, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

हाल के दिनों में, भारत पाकिस्तान को अलग थलग करने की कोशिशों में सक्रिय रहा है. खास कर उड़ी में भारतीय सेना के कैंप पर हमले में 18 सैनिकों की मौत के बाद, दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब हो गए. भारत इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताता है, जबकि पाकिस्तान ऐसे आरोपों को ठुकराता है. भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा किया, जिसे पाकिस्तान ने बेबुनियाद बताया. पिछले दिनों, राहील ने भारत को धमकी देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक की, तो भारत की पुश्तें भी नहीं भूल पाएंगी.

देखिए, पाकिस्तान और इतना खूबसूरत

पाकिस्तान की राजनीति में सेना का बड़ा दखल है. भारत, अफगानिस्तान और अमेरिका के साथ रिश्ते किस तरह के हों, यह तय करने में सेना की बड़ी भूमिका होती है. सुरक्षा विश्लेषक जाहिद हुसैन कहते हैं कि नियंत्रण रेखा पर अकसर होने वाली गोलाबारी के कारण उम्मीद है कि सेना भारत से जुड़ी विदेश नीति पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहेगी. वो कहते हैं, "चूंकि तनाव इतना ज्यादा है कि नवाज (शरीफ) इधर उधर नहीं जाना चाहेंगे.”

बाजवा 1980 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए. वह कश्मीर समेत भारत से लगने वाले कई इलाकों में तैनात रहे, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि क्या भारत को लेकर उनकी सोच कम आक्रामक होगी. भारत के पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह कांगो में बाजवा के साथ शांति सेना का हिस्सा रहे हैं. वो एक सैनिक के तौर पर बाजवा की तारीफ करते हैं. इंडिया टुडे टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय परिवेश में, उनका प्रदर्शन पेशेवर और जबरदस्त था.” लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें बाजवा से पाकिस्तान की सैन्य नीति में बदलाव की उम्मीद है, तो उन्होंने कहा, "मुझे कोई बदलाव नहीं दिखता.”

एके/वीके (रॉयटर्स)