पाकिस्तान से बातचीत को राजी हुआ भारत
१८ अगस्त २०१६भारत प्रशासित कश्मीर में जारी हिंसा और तनाव की चपेट में आकर पिछले 40 दिनों में कई जानें जा चुकी हैं. पाकिस्तान आधारित हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से जारी हिंसा के कारण कश्मीर घाटी के कई इलाकों में कर्फ्यू की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में भारतीय विदेश मंत्रालय के स्रोतों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार भारत ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के बातचीत के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.
भारत के विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर इस्लामाबाद जाकर पाकिस्तान के विदेश सचिव से मुलाकात करेंगे. हालांकि अभी तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. भारत का आरोप है कि भारत-प्रशासित कश्मीर में हिंसा भड़काने के पीचे पाकिस्तान का हाथ रहा है.
शांति बहाल करने की कोशिश की दिशा में दोनों पक्षों के बीच वार्ता का यह पहला मौका बना है. कश्मीर में जारी इस हालिया हिंसा में अब तक कम से कम 64 लोगों की जान जाने और हजारों लोगों के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में घायल होने की खबर है. पाकिस्तान ने भारत प्रशासित कश्मीर की इन घटनाओं की निंदा की है. भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में हुए बंटवारे के समय से ही कश्मीर को लेकर खींचतान जारी है. दोनों देशों के बीच हुए चार युद्धों में से तीन कश्मीर को लेकर ही लड़े गए.
दुनिया भर में कुछ ऐसे विवाद हैं जो कभी भी युद्ध भड़का सकते हैं. ये सिर्फ दो देशों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को लड़ाई में खींच सकते हैं. देखिए यहां.
भारत ने पहले ही जम्मू-कश्मीर की ताजा स्थिति पर पाकिस्तान के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दोहराया था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. जम्मू और कश्मीर भारत का एकलौता मुस्लिम बहुत आबादी वाला राज्य है. कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच बंटा हुआ है. दो तिहाई कश्मीर पर भारत शासन करता है जबकि पाकिस्तान के शासन वाला एक तिहाई हिस्सा आजाद कश्मीर कहलाता है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से अभी तक प्रस्तावित द्विपक्षीय वार्ता पर प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार अधिकारियों ने दोनों देशों द्वारा अपने अपने प्रशासित इलाकों में यूएन को प्रवेश देने में असफल रहने पर "गहरा दुख" जताया है. इलाके में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों की जांच के लिए यूएन वहां जाना चाहता है. यूएन में मानवाधिकारों के हाई कमिश्नर जायद राद अल हुसैन ने जेनेवा में एक बयान जारी कर कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार से जुड़े तथ्यों की स्वतंत्र जांच करने के यूएन के प्रयास अभी तक कामयाब नहीं हो सके हैं.
पुलिस और सुरक्षाबलों के क्रुद्ध भीड़ पर शॉटगन्स के इस्तेमाल की दुनिया भर में निंदा हुई है. इन बंदूको की गोलियां यानि पैलेट्स भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए दागी जाती हैं, ये जानलेवा नहीं होतीं. लेकिन कश्मीर के निवासियों का आरोप है कि पैलेट्स से लोगों को बहुत गंभीर चोटें लगीं हैं और सैकड़ों लोग अंधे हो गए हैं.