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पाकिस्तान में फिर मिलेगी फांसी

१२ जुलाई २०१३

पाकिस्तान में बढ़ते अपराधों पर काबू पाने के लिए वहां की नई सरकार ने मौत की सजा पर रोक को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे अमानवीय और पीछे की ओर ले जाने वाला कदम बता रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है. अफगानिस्तान से लगते देश के उत्तर पश्चिमी सीमा पर इस्लामी चरमपंथ ने आफत मचाई है तो दक्षिण पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है. इस्लामी चरमपंथी देश के दूसरे हिस्सों में भी आम लोगों को निशाना बना रहे हैं. अपराध और चरमपंथ पर लगाम कसने की कोशिश में नई सरकार ने मौत की सजा पर लगी रोक को आगे न बढ़ाने का फैसला किया है. यह रोक 30 जून तक थी.

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता उमर हामिद खान ने हाल ही में कहा कि प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की सरकार मौत की सजा पाए कैदियों के साथ कोई नरमी नहीं बरतेगी. सिर्फ मानवीय आधार पर सजा माफ किए गए कैदी इसमें शामिल नहीं है. मौत की सजा पर रोक 2008 में पिछली सरकार ने लगाई थी. हालांकि पाकिस्तान ने 2012 में अपने ही कानून को तोड़ सेना के एक पूर्व अधिकारी को मिली मौत की सजा तामील की.

उमर हामिद खान ने अमेरिका का हवाला दे कर अपनी सरकार की नीति का बचाव किया. उनका कहना है कि अमेरिका अपने "बेहतरीन न्यायिक व्यवस्था" के लिए जाना जाता है और वहां भी मौत की सजा दी जाती है. पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक देश में फिलहाल 400 कैदी मौत की सजा के इंतजार में हैं, हालांकि स्वतंत्र संगठन यह संख्या और ज्यादा बताते हैं. यहां मौत की सजा देने के लिए फांसी पर लटकाने की परंपरा है.

मानवाधिकार संगठन सरकार की दलील से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि इस बात के कोई सबूत नहीं कि मौत की सजा अपराध या चरमपंथ को रोक सकती है. अंतरराष्ट्रीय संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है, "जब तक मौत की सजा रहेगी, बेकसूर लोगों को फांसी पर लटकाए जाने का जोखिम कभी भी खत्म नहीं किया जा सकेगा." अंतरराष्ट्रीय कानून आयोग का पाकिस्तान के बारे में कहना है, "यह ऐसे कुछ देशों में है जिन्होंने मौत की सजा को जारी रखा है और फांसी पर लटका रहे हैं." इसके साथ ही आयोग ने मौत की सजा पर से रोक हटाए जाने के बारे में कहा, "और ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि यहां पहले से ही बहुत से लोग मौत की सजा पाने की कतार में हैं." दुनिया के 150 से ज्यादा देशों ने मौत की सजा या तो खत्म कर दी है या फिर इस पर रोक लगा रखी है.

जोहरा यूसुफ पाकिस्तान के गैर सरकारी मानवाधिकार आयोग की प्रमुख हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा कि सरकार का फैसला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की कोशिशों को एक बड़ा झटका लगा है. उन्होने यह भी बताया कि वो इस मामले को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ के पास ले कर गए हैं. पंजाब प्रांत में सबसे ज्यादा लोग फांसी की सजा के इंतजार में हैं. यूरोपीय संघ भी पाकिस्तान पर मौत की सजा खत्म कराने के लिए दबाव बना रहा है.

रिपोर्टः आसिम सलीम/एनआर

संपादनः महेश झा

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