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पाकिस्तान में ड्रोन के मुकाबले कला

१५ अप्रैल २०१४

पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमलों में जा रही मासूम जानों की तरफ धयान दिलाने के लिए कुछ पाकिस्तानी कलाकारों ने एक अलग सा रास्ता निकाला है.

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Protest gegen Dronenangriffe in Pakistan
तस्वीर: picture-alliance/AA

देश के तनावग्रस्त आदिवासी इलाकों में वे बच्चों की तस्वीर वाले बड़े बड़े पोस्टर बनाकर ड्रोन चलाने वालों के मन में सहानुभूति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

पाकिस्तानी कलाकारों का एक समूह #नॉटएबगस्प्लैट प्रोजेक्ट के तहत एक बड़े ही असाधारण तरीके से ड्रोन हमलों के खिलाफ जागरूकता फैला रहा है. 'बग स्प्लैट' शब्द का इस्तेमाल अमेरिकी ड्रोन उड़ाने वाले पायलट उन लोगों के लिए करते हैं जब वे वीडियों कैमरा से ड्रोन हमले के लिए निशाना लगाते हैं.

Protest gegen Dronenangriffe in Pakistan
मासूम चेहरों से ड्रोन ऑपरेटरों का दिल पिघलाने की कोशिशतस्वीर: picture-alliance/AA

ड्रोन हमलों के पीड़ितों को एक चेहरा देने के पीछे इस कला प्रोजेक्ट की शुरूआत करने वाले लोगों की उम्मीद है कि अमेरिकी ड्रेन पायलट और नीति निर्माता अपने इस कदम का बुरा असर भी देख पाएंगे. इन्हें बनाने वाले आर्ट कलेक्टिव के इन कलाकारों ने खुद अपनी पहचान जाहिर नहीं की है. एक कलाकार ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "ऊपर से यह लोग बहुत छोटे दिखते हैं, बिल्कुल कीड़े मकोड़ों जैसे. हम ड्रोन ऑपरेटरों को दिखाना चाहते हैं कि यह लोग असली में कैसे दिखते हैं. शायद इससे उनके मन में थोड़ी सहानुभूति आए और शायद वे आत्ममंथन करने पर मजबूर हो जाएं."

'प्रभावी' रहे हैं ड्रोन हमले

पाकिस्तान में ऐसे भी कई उदारवादी लोग और विशेषज्ञ हैं जो अमेरिकी ड्रोन हमलों को सही ठहराते हैं. उनका मानना है कि ड्रोन हमलों के कारण ही देश के आदिवासी इलाकों में आतंकवादियों के कई ठिकानों को नष्ट करने में सफलता मिली है.

Protest gegen Dronenangriffe in Pakistan
कीड़े मकोड़े नहीं इंसान मारे जाते हैंतस्वीर: picture-alliance/AA

पिछले दिसंबर से अब तक अमेरिका ने पाकिस्तान में ड्रोन हमलों पर अस्थाई रूप से रोक लगा रखी है. मकसद है इस्लामाबाद को इस्लामिक विद्रोहियों के साथ शांति वार्ता का मौका देना. दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार मांग करती रही है कि इस तरह के स्वचालित विमानों से विद्रोहियों को निशाना बनाने का सिलसिला बंद होना चाहिए. उनका दावा है कि इन हमलों में विद्रोहियों से ज्यादा आम लोगों की जान जाती है.

इसके अलावा इस्लामाबाद इन हमलों को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन भी मानता है. वाशिंगटन में स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक, 'द न्यू अमेरिका फाउंडेशन' ने बताया है कि अमेरिकी ड्रोन हमलों में पिछले आठ सालों में मारे गए लोगों की तादाद 1,715 से 2,680 के बीच है. फाउंडेशन का मानना है कि इनमें कई आम लोग भी शामिल थे.

पाकिस्तान के कराची शहर से डीडब्ल्यू के साथ बातचीत में रक्षा और राजनीतिक मामलों के विश्लेषक, अली के.चिश्ती ने कहा, "ड्रोन के इस्तेमाल की योजना अल कायदा और पाकिस्तानी तालिबानियों के अलावा बाकी सबके लिए सही साबित हुई है." उनका मानना है कि इन हमलों की वजह से विद्रोहियों की गतिविधियों पर लगाम लगी है.

दूसरी ओर लाहौर से पत्रकार अशआर रहमान कहते है कि वाशिंगटन का पाकिस्तान में बागियों पर ड्रोन हमले जारी रखना इस बात का सबूत है कि उन्हें पाकिस्तानी सरकार पर भरोसा नहीं है. मशहूर पाकिस्तानी कलाकार फाइका मानती हैं कि अब वक्त आ गया है कि ड्रोन और विद्रोहियों के हमलों में मारे जाने वाले लोगों को इंसान के तौर पर देखा जाए, कीड़े मकोड़ों की तरह नहीं.

रिपोर्टः शामिल शम्स/आरआर

संपादनः आभा मोंढे