पांच अंग जो छप सकते हैं
3डी प्रिंटिग तकनीक से कई बड़ी उपलब्धियां सामने आ रही हैं. अब शरीर के अंग 3डी प्रिंटर की मदद से बनाए जा सकते हैं.
किडनी
3डी तकनीक से किडनी बनाना जटिल प्रक्रिया है क्योंकि यह बहुत जटिल अंग है. लेकिन अमेरिका के वेक फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ रिजनरेटिव मेडिसिन में यह संभव हो सका है. बायोप्रिंटेड किडनी अभी काम नहीं कर रही लेकिन शोध जारी है. जल्द ही यह संभव होने की उम्मीद है.
कान
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के बायोइंजीनियरों ने 3डी कान सफलतापूर्वक डिजाइन कर लिया है. यह कान गाय की उपास्थि और चूहे की पूंछ से निकाले रेशेपूर्ण कोलेजन के 25 करोड़ कोषिकाओं से बनाया गया है. अविकसित बाहरी कान (माइक्रोशिया) के साथ पैदा होने वाले बच्चों या सुनने में गड़बड़ी वाले लोगों के लिए यह अहम साबित हो सकता है.
धमनियां
पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी और एमआईटी के रिसर्चरों ने ओपन सोर्स रेपरैप प्रिंटर और कस्टम सॉफ्टवेयर की मदद से ये शिराएं और धमनियां बनाई हैं. उन्होंने इसके लिए चीनी के तंतुओं का एक नेटवर्क का सांचा बनाया और इसे मक्के से बनाए गए पोलिमर से ढंक दिया. ढांचा बनने के बाद इसे धो दिया जाता है जिससे चीनी धुल जाती है.
स्किन ग्राफ्टिंग
पहले बायोप्रिंटर स्कैन की मदद से मरीज के घाव को नापा जाता है. एक वॉल्व थ्रॉम्बिन एंजाइम निकालता है और दूसरा कोलेजन और फाइब्रिनोजन वाली कोषिकाएं. इसके बाद इंसानी फाइब्रोब्लास्ट की परत और फिर केराटिनोसाइट्स यानि त्वचा की कोषिकाओं की परत लगाई जाती है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सीधे घाव में नई त्वचा प्रिंट की जा सकेगी.
हड्डियां
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी ने सिरामिक पावडर से बनी त्रिआयामी हड्डियां प्रिंट करने में सफलता पाई है. ये उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं जो एक्सीडेंट के दौरान हुए मल्टीपल फ्रैक्चर से जूझ रहे हैं.