पराठों के खूब शौकीन हैं सुशील कुमार
१५ अक्टूबर २०१०सुशील कुमार भारतीय खेल जगत में नए चकमते सितारे हैं. कुश्ती में वह न सिर्फ भारत को एक के बाद एक कामयाबी दिला रहे हैं, बल्कि और दूसरे युवाओं को भी अखाड़े में उतरने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. पेश उनसे एक खास बातचीत.
सुशील, बहुत बहुत बधाई हो आपको गोल्ड मेडल जीतने पर.
धन्यवाद धन्यवाद.
कॉमनवेल्थ खेलों को लेकर आपसे जो उम्मीदें की जा रही थी, आपने उन्हें पूरा कर दिया.
बिल्कुल, सभी का प्यार सम्मान मिला. बहुत खुशी हो रही है. मैंने तो बस यही कोशिश की कि अपने सौ प्रतिशत दूं. बहुत खुशी है कि मैं ऐसा कर पाया.
अपने प्रदर्शन से खुश हैं?
जी, पहले वर्ल्ड चैंपियन बना और अब कॉमनवेल्थ चैंपियन. बहुत खुशी है.
खास कर आपको कॉमनवेल्थ खेलों का सबसे लोकप्रिय खिलाड़ी भी चुना गया.
मैं इसके लिए उन सब को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने इतना प्यार और सम्मान मुझे दिया.
सुशील, कई पहलवान बड़े तुनक मिजाज होते हैं, लेकिन आप इतने कैसे कूल रह पाते हैं?
नहीं, ऐसी बात नहीं है. सभी पहलवान अच्छे हैं. सभी अच्छे से रहते हैं. मैं तो मानता हूं कि ये संस्कार माता पिता और गुरुओं से मिले हैं कि अच्छा कर पाऊं और जो भी मिले उससे आशीर्वाद लूं. असल में एक खिलाड़ी की उपलब्धि एक बात होती है और उसका व्यवहार दूसरी बात. मैं तो यही मानता हूं जो भी मिले उससे अच्छे से मिलना चाहिए. क्योंकि वह हमसे प्यार करता है तभी मिलने आया है.
खास कर पाकिस्तान के पहलवान भी आपकी तारीफ करते है. वहां के एक पहलवान मोहम्मद इनाम कहते हैं कि उन्होंने एक भारतीय खिलाड़ी को हराया लेकिन फिर भी आपने ने उनकी तारीफ की?
हां, बिल्कुल जो भी जीतता है उसे बधाई देनी चाहिए. वे भी हमसे अच्छी तरह मिलते हैं. और हमारे देश में आए हैं तो हमारा यह दायित्व बनता है कि हम उनके साथ अच्छा बर्ताव करें. मैंने तो उनसे कहा कि अगर किसी चीज की परेशानी हो तो बताएं. हमसे यहां हैं और जो भी बन पड़ेगा, हम करेंगे.
भारत और पाकिस्तान की तनातनी क्या अखाड़े पर भी महसूस होती है जैसा कई बार क्रिकेट के मैदान पर देखने को मिलता है?
बिल्कुल होती है. लोग इतना जोश दिखाते हैं. वे बहुत आक्रामक हो जाते हैं. लेकिन मैदान का यह तनाव कभी निजी नहीं होता. वैसे भी खेल के मैदान से बाहर हर खिलाड़ी से अच्छे से मिलना चाहिए.
सुशील, भारत का काफी नाम रोशन कर रहे हैं आप. लेकिन कुछ दिनों पहले आप सरकार की तरफ से सम्मान न मिलने पर नाराज थे. क्या उम्मीद कर रहे हैं कि आपकी वह नाराजगी अब दूर की जाएगी?
देखिए, मैंने तो पहले भी यही बोला था कि मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा और देश के लिए खेलता रहूंगा. अब यह उनका काम है. वे देखें. उन्हें अच्छा लगे, तो दे दें. लेकिन मुझे तो अब इतना बड़ा पुरस्कार मिल चुका है. सभी लोगों ने इतना प्यार और सम्मान दिया. इससे बड़ा क्या है.
अगले महीने होने वाले एशियाई खेलों के लिए क्या तैयारियां की हैं?
जी, पूरे जोरों से लग जाएंगे. एक दो दिन के बाद जो फेडरेशन की तरफ से निर्देश मिलेगा, उसी के मुताबिक तैयारी में जुट जाएंगे और अच्छा करने की कोशिश करेंगे.
सुशील यह बताएं कि आपकी कामयाबियों के बाद क्या कुश्ती के प्रति लोगों और उससे भी ज्यादा मीडिया का रुझान बदला या फिर अब भी लोग यह समझते हैं कि ये तो बस मिट्टी में खेलने वाले लोग हैं?
नहीं, बिल्कुल बदला है. मीडिया और सब ने बहुत ज्यादा सहयोग दिया है कि कुश्ती को उसके मकाम पर ले जाएं.
जब आप मेडल जीतते हैं तो घर वाले क्या कहते हैं?
वे बहुत खुश होते हैं. अब तो पूरे गांव में और दिल्ली में भी लोग यही चाहते हैं कि हमारे बच्चे भी कुश्ती करें और देश के लिए खेलें.
सुशील, बहुत से लोग यह जानने चाहते हैं कि एक पहलवान की डाइट क्या होती है.
देखिए मैं तो शाकाहारी हूं. अब जो भी कुछ मिल जाता है खा लेता हूं. 66 किलोग्राम वर्ग में खेलता हूं तो वज़न को मेनटेन भी रखना पड़ता है.
मतलब ऐसा कुछ नहीं है कि पांच या दस किलो दूध पीना पड़ता हो?
ऐसी बात है कि जितनी आप मेहनत करो, शरीर उस हिसाब से आप से मांग लेता है. चाहे वह पानी पीकर भी आपको पूरा करना पड़े.
अच्छा यह बताइए कि खाने में सबसे ज्यादा पसंद क्या है.
कुछ भी मिल जाए. आज तक कभी यह नहीं कहा कि मुझे खास यही चीज चाहिए. जो मिल जाता है खा लेते हैं. हां, पराठे खाना मुझे पसंद है.