1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

परमाणु हथियारों पर सहमत नहीं है नाटो

१५ अक्टूबर २०१०

जर्मनी और फ्रांस परमाणु हथियार के मुद्दे पर उलझ गए हैं. जर्मनी परमाणु निरस्त्रीकरण चाहता है तो फ्रांस परमाणु भयादोहन चाहता है. अमेरिका का कहना है कि नाटो को परमाणु सहबंध बना रहना चाहिए.

https://p.dw.com/p/PeZ4
नाटो महासचिव रासमुसेनतस्वीर: AP

नाटो के विदेश और रक्षा मंत्री पश्चिमी सैनिक सहबंध की नई रणनीति पर विचार कर रहे हैं, लेकिन यूरोपीय संघ में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले फ्रांस और जर्मनी नई रणनीति में परमाणु हथियारों की भूमिका पर सहमत नहीं हैं.

लिसबन में होने वाली नाटो शिखर भेंट की तैयारी बैठक में जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले और रक्षा मंत्री थियोडोर सू गुटेनबर्ग ने मांग की कि नई रणनीति में परमाणु निरस्त्रीकरण का लक्ष्य शामिल किया जाए. बैठक के बाद वेस्टरवेले ने कहा कि हमें कई दूसरों का समर्थन मिला.

इसके विपरीत फ्रांस के रक्षा मंत्री ऐर्व मोरां ने कहा कि नाटो को भविष्य में भी एक भरोसेमंद परमाणु भयादोहन की जरूरत है. उन्हें भी बहुत से देशों का समर्थन मिला, खासकर अमेरिका का भी. गेट्स ने कहा, "बहुत से लोगों ने कहा कि जब तक परमाणु हथियारों वाले विश्व में रहते हैं, जरूरी है कि हम परमाणु सहबंध बने रहें."

NO FLASH Karl-Theodor zu Guttenberg Verteidigungsminister Guido Westerwelle Außenminister Brüssel NATO Belgien
वेस्टरवेले और गुटेनबर्गतस्वीर: picture alliance/dpa

मोरां ने कहा कि जर्मनी और फ्रांस इस पर एकमत हैं कि नियोजित रॉकेटरोधी कवच परमाणु हथियारों की धमकी का विकल्प नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि खासकर अमेरिकी परमाणु हथियारों की यूरोप में उपस्थिति जरूरी है. इसके विपरीत जर्मनी चाहता है कि अमेरिका वहां तैनात टैक्टिकल परमाणु हथियारों को हटा ले.

फ्रांस पिछले साल नाटो की कमांडो संरचना में वापस लौट आया है लेकिन यह उसके परमाणु हथियारों की तैनाती पर लागू नहीं है. इसके बावजूद नाटो की परमाणु धमकी का महत्व घटता है तो इसका असर फ्रांस पर भी होगा. नाटो के महासचिव आंदर्स फो रासमुसेन ने एक नीतिगत मसौदा पेश किया है जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की परमाणु रहित विश्व के लक्ष्य की झलक मिलती है तो प्रभावी परमाणु धमकी की जरूरत पर भी जोर दिया गया है. रासमुसेन शुक्रवार को पैरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी से मिल रहे हैं.

अपनी नई रणनीति के साथ नाटो आतंकवादी खतरे और कंप्यूटर नेटवर्क पर हैकर हमलों का भी मुकाबला करना चाहता है. 19 और 20 नवम्बर को लिसबन में होने वाली शिखर भेंट में नाटो के सदस्य देश यह भी फैसला करेंगे कि क्या शुरू में सिर्फ अमेरिका द्वारा नियोजित रॉकेटरोधी कवच अब सभी 28 नाटो सदस्य देशों की परियोजना होगी. रासमुसेन ने कहा है कि इसका विरोध नहीं हुआ है. लेकिन गुटेनबर्ग और वेस्टरवेले का कहना है कि जर्मनी इस योजना का समर्थन करता है लेकिन उसमें रूस की भी भागीदारी चाहता है. अमेरिका 2018 तक सभी यूरोपीय नाटो देशों को रॉकेटरोधी संरचना में शामिल करना चाहता है जिसका लक्ष्य ईरान से होने वाले हमले को रोकना है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें