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पत्रकार बन कर बहुत खुश हैं रानी

२९ दिसम्बर २०१०

रानी मुखर्जी की दिल बोले हड़िप्पा भले बॉक्स आफिस पर कमाल नहीं दिखा सकी हो, लेकिन बॉलीवुड की बंगाली बाला को अपनी नई फिल्म नो वन किल्ड जेसिका से काफी उम्मीदें हैं. खासकर इसमें पत्रकार बन कर उन्हें बहुत मजा आया.

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क्राइम रिपोर्टर बनी हैं रानीतस्वीर: AP

नो वन किल्ड जेसिका मॉडल जेसिका लाल की हत्या पर आधारित है. जेसिका की हरियाणा के एक राजनीतिज्ञ के बेटे मनु शर्मा ने 1999 में दिल्ली के एक क्लब में गोली मार कर हत्या कर दी थी. फिल्म में एक क्राइम रिपोर्टर के तौर पर अपना किरदार रानी को बेहद पसंद है. वह कहती हैं, "मैं रोमांटिक, कॉमेडी और कॉमर्शियल यानी हर तरह की फिल्मों में काम करना चाहती हूं. बस स्क्रिप्ट पसंद आनी चाहिए और डांस तो मुझे बेहद पसंद है."

इस फिल्म के निर्देशक राजकुमार गुप्ता हैं. इसमें विद्या बालन ने जेसिका की बहन सबरीना का किरदार निभाया है. रानी मानती हैं कि जेसिका को न्याय दिलाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वह कहती हैं, "क्राइम रिपोर्टर्स का काम गंभीर होता है. एक निडर क्राइम रिपोर्टर का किरदार मुझे बेहद पसंद आया और उम्मीद है कि फिल्म को देखने के बाद लोग इस पेशे को और आदर की नजरों से देखने लगेंगे." रानी का कहना है कि टीवी पर क्राइम रिपोर्टरों को देखते वक्त हम नहीं समझ पाते कि उनका काम कितना मुश्किल और जोखिमों से भरा होता है. खासकर लड़कियों के लिए तो यह और मुश्किल है.

रानी आखिर फिल्मों का चयन किस आधार पर करती है? वह बताती हैं, "फिल्मों के चयन का कोई खास मापदंड नहीं हैं. लेकिन मैं कहानी और निर्देशक को जरूर तरजीह देती हूं. कभी कभी पटकथा तो साधारण-सी होती है. लेकिन उसे इस तरह से बनाया जाता है कि वह हिट साबित होती है."

विद्या बालन के बारे में रानी कहती हैं, "प्रतिभावान लोगों के साथ काम करना अच्छा लगता है. हमने साथ काम करके अच्छा वक्त बिताया है." वह विद्या के साथ अपने कथित कटु संबंधों को कोरी अफवाह बताती हैं और कहती हैं कि विद्या एक बेहतरीन अभिनेत्री और इंसान हैं.

दर्शकों के दिमाग में ताजा रहने वाली किसी भी घटना को फिल्मी पर्दे पर उतारना फिल्म निर्माता के लिए काफी मुश्किल होता है. इस फिल्म के निर्देशक राजकुमार गुप्ता को भी इस विषय पर फिल्म बनाने के दौरान ऐसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. गुप्ता को इसकी कहानी लिखने में लगभग आठ महीने लगे. यह मामला काफी संवेदनशील था और इसे फिल्म की कहानी के रूप में ढालना एक चुनौती थी. शुरूआती झिझक के बाद उन्होंने यह चुनौती कबूल करते हुए और इस पर फिल्म बना डाली.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः ए कुमार

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