पतझड़ सावन बसंत बहार
जर्मनी में पतझड़ लौट आया है. वह ठंडा और ग्रे तो है लेकिन रूमानी और खूबसूरत भी. और इसमें सबसे खास हैं इसके रंग...
गिरती पत्तियां
खूबसूरत पतझड़ के रंग हर बार लोगों को आकर्षित करते हैं. इन खूबसूरत नजारों ने कई विश्व प्रसिद्ध कवियों, चित्रकारों और दर्शनशास्त्रियों को प्रेरित किया है. कविताओं से लेकर चित्रों तक में पतझड़ के रंग दिखाई देते हैं.
कालीन की तरह नरम
पेड़ से गिरी पत्तियां एकदम नरम कालीन की तरह होती हैं. ऐसे मौसम में जंगलों में सैर करना इंसानों के लिए क्या जानवरों के लिए भी खुशनुमा होता है. इन पर चलना जोड़ों के लिए भी अच्छा होता है.
लाल झील
पतझड़ के चटक रंग झीलों पर भी पड़ते हैं. झील की सतह पर पतझड़ के पत्तों का लाल, पीला और नारंगी रंग किसी चित्र की तरह नजर आता है. आंखों के लिए रंगों के छप्पन पकवान...
ताजी हवा और चटक रंग
पतझड़ के पास देने के लिए बहुत कुछ है. गोल्डन अक्टूबर से लेकर नवंबर की फुहार और अंधेरी रातें. शहरों में आप पतझड़ की खूबसूरत दोपहर का मजा ले सकते हैं. खासकर पार्क या फिर बाग में आप कसरत भी कर सकते हैं. ताजी हवा किसे खराब लगती है.
सूर्यास्त का सपना
पतझड़ के मौसम में खासकर शामें बेहद खूबसूरत होती हैं. उदाहरण के लिए डुसेलडॉर्फ में डूबते सूरज के वक्त नजर आता राइन टॉवर. शाम के वक्त ये रंग आपको सपनों की दुनिया में आने का न्यौता देते हैं.
क्यों बदलता है रंग
प्रकृति एक तय चक्र पर चलती है. पेड़ पत्तियों से पोषक तत्व ले लेते हैं और उसे जमा कर लेते हैं. इसी कारण पत्तों का रंग भी बदलता है. पतझड़ में पेड़ भी सर्दियों की तैयारी में लग जाते हैं. पत्तियों से क्लोरोफिल घटता है और दूसरे रंगों वाले पिगमेंट उभरते हैं.
फिर तेरी याद आई
कला में पतझड़ को हमेशा दर्द, दुख और जुदाई से जोड़ा जाता है. और प्रकृति में भी सभी चीजों की मृत्यु होती है. पत्ते झड़ते हैं और फिर कड़ाके की ठंड पड़ती है. इसलिए कई कलाकार अपनी तस्वीर में पतझड़ का इस्तेमाल जीवन की शाम का वर्णन करने के लिए करते हैं.
फिल्मी तूफान
इस मौसम में तापमान और वायु दबाव के कारण तूफान उठते हैं. इसलिए शरद ऋतु में काफी तूफान उठते हैं. अक्सर ऐसा मौसम और तस्वीरें आती हैं जैसी कि फिल्म का कोई सीन हो. इस तस्वीर में एक तूफानी मौसम में रोशनी की लकीर छोड़ती जाती कार.
पतझड़ के बाद सफाई
खूबसूरती फैलानी वाली पत्तियों की सफाई भी जरूरी होती है. क्योंकि एक दिन रास्ता साफ न किया जाए तो चलना मुश्किल हो जाता है और लगातार बारिश के कारण फिसलन भरा भी.