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पतंगबाजी पर पाबंदी

२ सितम्बर २०१०

कनाडा के टोरंटो शहर में पतंगबाजी पर पाबंदी लग गई है. हफ्ते के आखिरी दिनों में टोरंटो के पार्क पतंगाबजों के अखाड़े बन जाते हैं. लोग पार्क में आते हैं, बारबेक्यू और ड्रिंक के साथ पतंग उड़ाते हैं. अब सब बंद.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

टोरंटों के मिल्कियन पार्क के बाहर पीले रंग के बोर्ड पर अंग्रेजी में लिखा है नो काइट फ्लाइंग अलाउड, पतंग उड़ाना मना है . इस एक बोर्ड ने दक्षिण एशियाई लोगों को उनकी पसंदीदा खेल से दूर कर दिया है.

कुछ दिन पहले तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश और चीन से आए लोग सप्ताह के आखिरी दिनों में इस पार्क के आकाश को पतंगो से रंग देते थे. जितने उत्साह से पतंगें आकाश में कुलांचे भरतीं उसके दोगुने उत्साह से जमीन पर चरखी पकड़े बच्चे और बड़े जवान उन्हें हाथ के इशारों से नचाते. कभी खुल के ढील दी जाती तो कभी सरपट लपेट कर पतंग को ऊंचा उठाते. कभी पड़ोसी की पतंग से पेंच लड़ाकर जंग की खुमारी निकाली जाती तो कभी खुद की पतंग कटने पर ठंडी आह भरते. फिजा में पतंगबाजों की शोर के साथ ही बारबेक्यू की खुशबू भी घुलती और लोगों का उत्साह बढ़ाती.

कुछ लोगों को ये सब नहीं भाया. नतीजा, टोरंटो के काउंसलर ने पतंगबाजी पर रोक लगाने का एलान कर दिया. काउंसलर के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया कि पिछले कुछ सालों में 100 से ज्यादा लोगों ने उनसे पतंगबाजी से होने वाली दिक्कतों की शिकायत की. इन शिकायतों में कहा गया कि मंझा के टुकड़े पार्क में बिखरे रहते हैं. इनकी वजह से कई लोगों के पैर जख्मी हो गए और चिड़ियों की जान भी जोखिम में पड़ जाती है. अब पतंग उड़ाने वालों पर 100 डॉलर का होगा. मिल्कियन दूसरा पार्क है जिसमें पतंग उड़ाने पर रोक लगी है. ओन्टेरियो झील के किनारे बने ब्लफर्स पार्क में भी ऐसी ही रोक लगाई गई थी.

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तस्वीर: AP

वैसे पतंगबाज भी खामोश नहीं बैठे हैं. हजारों लोगों ने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि पतंगों की बजाए तेज धागे यानी मंझा पर रोक लगाई जाए. पतंगबाजी को फिर से शुरू करने की अपील वाली रंग बिरंगी तख्तियां शहर में कई जगह नज़र आ रही हैं. लोगों ने पतंगबाजी पर लगी रोक हटाने के लिए रैली भी निकाली.

प्रशासन का कहना है कि वो फैसले पर कुछ हफ्तों बाद फिर से विचार करेगा. काउंसलर चिन ली का कहना है कि वो खुद भी पतंगबाजी के शौकीन हैं. उन्हें पतंगबाजों से हमदर्दी है पर वो मजबूर हैं क्योंकि अभी भी शिकायतें आ रही हैं. ली ने कहा है कि जल्दी ही वो दोनों पक्षों के साथ मिलकर बात करेंगे और कोई ऐसा हल निकालेंगे कि पतंगें भी उड़ें और शिकायत भी न हो.

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तरह तरह की पतंगेंतस्वीर: AP

दरअसल पतंगों में तो बस मजा है. खतरा उसे उड़ाने वाले मंझे से है. इन धागों के बगैर पतंगों की जंग हो नहीं सकती न ही पेंच लड़ाए जा सकते हैं. नतीजा पतंग उडा़ने का असली रोमांच ही खत्म हो जाएगा. इसी रोमांच पर तो कई फिल्में बनी और किताबें भी लिखी गईं. अफगान लेखक खालिद हुसैनी की मशहूर किताब द काइट रनर भी इस जंग की कुछ दिलचस्प तस्वीरें दिखाती है.

वैसे टोरंटो में पतंगबाज सूती धागों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं. साथ ही सफाई करने के लिए भी पर पतंग तो उड़ानी ही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए जमाल