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पटेल के बचाव में उतरे मनमोहन सिंह

१८ जनवरी २०१७

संसद की वित्त मामलों की समिति के सामने पेश हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल पर सांसदों ने सवालों की बौछार कर दी. ऐसी मुश्किल घड़ी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पटेल की मदद की.

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Indien Urjit Patel vertreter der Reserve Bank of India bei Pressekonferenz
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

संसदीय समिति के सामने पेश हुए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल से सांसदों ने नोटबंदी के बारे में कई सवाल पूछे. नोटबंदी की तैयारी और उसे लागू करने से जुड़े सवाल जब गहराते गए तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पटेल के बचाव में आ गए. खुद भी रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके मनमोहन सिंह ने पटेल से कहा कि वह उन सवालों के जवाब न दें, जिनसे केंद्रीय बैंक को मुश्किल हो. नोटबंदी के चलते स्वायत्त संस्था, रिजर्व बैंक की भूमिका भी राजनीति के केंद्र में है.

भारतीय टीवी चैनल एनडीटीवी ने वित्त मामलों की संसदीय समिति के सूत्रों के हवाले से यह रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के सांसदों ने पटेल से कुछ ऐसे सवाल किये कि 1982 से 1985 तक आरबीआई के गवर्नर रहे मनमोहन सिंह को बचाव में उतरना पड़ा. पटेल से जब यह पूछा गया कि क्या आपको पता है कि निकासी पर लगी सीमा हटाने के बाद अफरा तफरी होगी? तो मनमोहन सिंह ने आरबीआई गवर्नर से कहा, "आपको इसका जवाब नहीं देना चाहिए."

Indiens Premierminister Manmohan Singh
1982 से 1985 तक आरबीआई के गवर्नर थे मनमोहन सिंहतस्वीर: Raveendran/AFP/Getty Images

संसदीय समिति के सामने हुई पेशी के बाद नोटबंदी को लेकर कुछ बातें साफ हुई हैं. पटेल ने बताया कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ने नोटबंदी की प्रक्रिया जनवरी 2016 में शुरू की. वित्त समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस के नेता वीरप्पा मोइली के सामने पटेल से यह भी पूछा कि बड़े नोटों को वापस लेने का फैसला किसका था. समिति में शामिल बीजेपी के सांसदों ने कोई सवाल नहीं किया.

सवाल जवाब में शामिल विपक्षी पार्टी के एक नेता ने कहा, "उन्होंने टुकड़ों में जवाब दिये लेकिन मुख्य सवालों का जवाब वह नहीं दे सके. ऐसा लगता है कि आरबीआई के अधिकारी नोटबंदी के मामले में बहुत ही ज्यादा बचाव की मुद्रा में हैं." आरबीआई के शीर्ष अधिकारी ने समिति को बताया कि नोटबंदी के बाद से 9.2 लाख करोड़ रुपये की नई मुद्रा वित्तीय सिस्टम में डाली जा चुकी है."

सांसदों ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से भी कई सवाल किये. समय सीमा खत्म होने की वजह से वित्त मंत्रालय कई सवालों का बाद में जवाब देगा. सूत्रों का कहना है कि वित्त मामलों की समिति पटेल के जवाबों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है. हो सकता है कि उन्हें एक बार और बुलाया जाए. 20 जनवरी को इस मुद्दे को लेकर पटेल को लोक लेखा समिति के सामने भी पेश होना है.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई)