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'अब तक का सबसे बड़ा सम्मान'

गाब्रिएल डोमिंगेज/एए१८ अक्टूबर २०१४

शांति का नोबेल पुरस्कार पाने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ता और बचपन बचाओ आंदोलन से जुड़े रहे कैलाश सत्यार्थी ने डॉयचे वेले से खास बातचीत में पुरस्कार की अहमियत और सह विजेता मलाला युसूफजई के साथ काम करने की योजना बताई.

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Kailash Satyarthi
तस्वीर: AFP/Getty Images/C. Khanna

दशकों से कैलाश सत्यार्थी ने गुलामी के लिए मजबूर किए बच्चों की मदद के लिए अपना जीवन समर्पित किया हुआ है. 1954 को भारत में पैदा हुए सत्यार्थी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है और 1980 में बच्चों के अवैध व्यापार और बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए बचपन बचाओ आंदोलन की स्थापना की. बचपन बचाओ आंदोलन ने हजारों दुकानों और निजी घरों में छापा मारकर वहां काम कर रहे बच्चों को छुड़ाया. सत्यार्थी अक्सर इन मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाने के लिए सड़कों पर होने वाले प्रदर्शनों में भाग भी लेते हैं. उन्होंने 1998 में बचपन बचाओ आंदोलन की अगुवाई में बाल मजदूरी के खिलाफ ग्लोबल मार्च आयोजित किया था. यह 103 देशों में फैला. 10 अक्टूबर को नॉर्वे की नोबेल कमेटी ने पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई और कैलाश सत्यार्थी को वर्ष 2014 के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से देने की घोषणा की. कमेटी ने बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ दोनों के संघर्ष और सभी बच्चों की शिक्षा के अधिकार के लिए उनके प्रयासों के लिए पुरस्कार देने का फैसला किया. 60 वर्षीय कार्यकर्ता का जिक्र करते हुए नोबेल कमेटी ने कहा, "सत्यार्थी ने महात्मा गांधी की परंपरा को बरकरार रखा और वित्तीय लाभ के लिए होने वाले गंभीर बाल शोषण के खिलाफ विभिन्न प्रकार के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का नेतृत्व किया है." डीडब्ल्यू के साथ खास बातचीत में कैलाश सत्यार्थी वह कारण बताते हैं जिसके चलते उन्होंने बाल मजदूरी के खिलाफ लड़ाई छेड़ी और उन्हें किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ा.

डीडब्ल्यू: आप और आपके काम के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के क्या मायने हैं?

कैलाश सत्यार्थी: पुरस्कार मुझे बाल मजदूरी और शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए अधिक शक्ति और ताकत देता है. यह बाल अधिकारों के हक के लिए सबसे बड़ी मान्यता है, विशेष रूप से बाल श्रम उन्मूलन के लिए. यह बहुत बड़े सम्मान और पहचान की बात है उन करोड़ों बच्चों के लिए जिनकी आवाज या तो नकार दी गई या फिर नजरअंदाज कर दी गई है. इसलिए पुरस्कार मेरे अभियान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.

बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाने के लिए प्रेरणा कहां से मिली?

इस मुद्दे को लेकर मैं अपने छात्र जीवन से ही बहुत भावुक हूं. तो मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जो बच्चे अपने बचपन से वंचित हैं उनके लिए मुझे काम करना है. लेकिन जब मैंने इस पर काम शुरू किया तो बाल श्रम पर बहुत ज्यादा जागरुकता नहीं थी. उस समय ऐसा कोई नहीं था जिससे कुछ सीखने को मिले, लेकिन धीरे धीरे मैंने यह महसूस किया कि बाल श्रम मौलिक मानवाधिकारों के उल्लंघन के बराबर है. साथ ही साथ यह आजादी और अच्छे भविष्य से दूर करता है. तो हमने इस चुनौती को लेते हुए लड़ाई शुरु की जिसका असर धीरे धीरे पड़ा है.

बाल श्रम के खिलाफ अपने अभियान में आपको कौन सी अड़चनों का सामना करना पड़ा?

बाल श्रम एक सामाजिक बुराई है, हमें लोगों की सोच को बदलने के लिए लड़ाई लड़नी होगी. प्रथा गैरकानूनी है और मानवता के खिलाफ अपराध है. इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कानून हो और उसका सही तरीके से पालन हो रहा हो. माफिया और संगठित अपराधियों के खिलाफ भी यह एक संघर्ष है. यह हमेशा से ही मुश्किल लड़ाई रही है. मैं अपने दो सहयोगियों को इस लड़ाई में खो चुका हूं. एक की गोली मारकर हत्या कर दी गई तो दूसरे को पीट पीटकर मार दिया गया. इसके अलावा कई बार मुझ पर और मेरे परिवार पर हमले हो चुके हैं. इसलिए यह आसान नहीं है. मुझे ऐसा लगा कि जो लोग मुझे या फिर मेरे प्रियजनों को मारने की कोशिश करते हैं वह कुख्यात लोग हैं, जो मेरे काम से चुनौती महसूस करते हैं.

बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए अभी भी कितना काम बचा है?

अभी भी करने को बहुत कुछ है, जैसा मैंने कहा है, पुरस्कार कई कार्यकर्ताओं और सिविल सोसायटी के संगठनों को विभिन्न स्तरों पर ध्यान आकर्षित करने में प्रेरित करेगा, सरकारी स्तर के साथ निजी क्षेत्र में भी. मुझे उम्मीद है कि यह जारुगकता बढ़ाने में मदद करेगा और उन लोगों पर दबाव बनाएगा जो बच्चों का शोषण कर रहे हैं और उनके श्रम से मुनाफा कमा रहे हैं.

पाकिस्तानी नागरिक और मानवाधिकर कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को भी पुरस्कार दिया गया है. आपको कैसा लगता है एक पाकिस्तानी और एक भारतीय द्वारा प्रतिष्ठित पुरस्कार साझा करने में, विशेष रूप से क्षेत्र में तनाव में बढ़ोतरी को देखते हुए?

मैं मलाला की इज्जत करता हूं, वह एक अद्भुत युवा महिला हैं. घोषणा होने के बाद मैंने उनसे फोन पर बात की और हमने इस पर लंबी बात की कि हम कैसे एक साथ मिलकर कई मुद्दों पर लड़ाई लड़ सकते हैं, जिसमें लड़कियों के लिए शिक्षा और बाल श्रम शामिल हैं. लेकिन सबसे जरूरी बात, हमने क्षेत्र के साथ साथ वैश्विक स्तर पर शांति का वातावरण बनाने और उसे बहाल करने के बारे में भी चर्चा की.

इस पुरस्कार से आपके काम में किसी तरह का बदलाव आएगा?

बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई पहले की तरह जारी रहेगी. केवल एक चीज यह है कि मैं ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर नेटवर्क के तहत 140 से अधिक देशों में काम करता हूं, इस पुरस्कार के बाद दुनिया भर में मेरे सहयोगी संगठन और साथी कार्यकर्ता ज्यादा से ज्यादा मेरी उपस्थिति की मांग कर सकते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि पहले की तुलना में अब ज्यादा यात्रा करनी पड़ सकती है.