नैवल वार रूम लीक कांड में अहम गिरफ्तारी
२१ मई २०१०चर्चित नैवल वार रूम लीक कांड के अहम आरोपी और पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश के करीबी रहे 46 वर्षीय शंकरन को लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने 21 अप्रैल को गिरफ्तार किया और इस बारे में सीबीआई को सूचित किया जा चुका है. सीबीआई के निदेशक अश्विन कुमार ने बताया, "शंकरन को गिरफ्तार कर लिया गया है और हमने जल्द से जल्द उसके प्रत्यर्पण की मांग की है." उन्होंने इसे एक बड़ी कामयाबी बताया और उम्मीद जताई कि शंकरन को जल्द भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा.
सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि एक बार ब्रिटेन से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद शंकरन से विस्तार से पूछताछ होगी और गोपनीय जानकारी लीक करने के मामले में उसकी भूमिका की जांच पड़ताल की जाएगी. आरोप है कि उसने आर्थिक फायदे के लिए बेहद गोपनीय जानकारी व्यावसायिक कंपनियों को दी गई.
सीबीआई ने 20 मार्च 2006 को भारतीय नौसेना के पूर्व विंग कमांडर संभाजी राव सर्वे, शंकरन, पूर्व नौसेना कमांडरों विनोद कुमार झा और विनोद राणा, राज रानी जायसवाल, मुकेश बजाज, विंग कमांडर (रिटायर्ड) एसके कोहली, कश्यप कुमार और कुलभूषण पराशर के खिलाफ मामला दर्ज किया. इन नौ लोगों के खिलाफ आधिकारिक गोपनीय जानकारी अधिनियम की विभिन्न धाराओं और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड़यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया गया.
सीबीआई ने जायसवाल, बजाज और कश्यप कुमार के खिलाफ मामला खत्म करने के लिए दस्तावेज तैयार कर लिए हैं क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं जबकि बाकी छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गईं.
सीबीआई को 2006 में शंकरन के ब्रिटेन में होने की खबर मिली. उस वक्त भी शंकरन की गिरफ्तारी के लिए कोशिश की गई. ब्रिटेन की कोर्ट ने गिरफ्तारी का वारंट भी जारी कर दिया लेकिन शंकरन लंदन पुलिस को चमका देने में कामयाब रहा. 10 अप्रैल 2007 को अपने खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी होने के बाद शंकरन ने काफी समय तक वापस ब्रिटेन में कदम नहीं रखा.
चार महीनों की कोशिशों के बाद सीबीआई ने शंकरन को स्वीडन में ढूंढ निकाला. इसकी खबर स्वीडन में इंटरपोल की शाखा को दी गई, लेकिन अधिकारी एक बार फिर शंकरन को पकड़ने में नाकाम रहे. शंकरन बिना वैध पासपोर्ट के यूरोप में इधर से उधर घूम रहा है. विदेश मंत्रालय ने एक अप्रैल 2006 को उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया था.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह