नेपाल में घट रही हैं उम्मीदें
२८ अप्रैल २०१५हिमालय की गोद में स्थित देश नेपाल में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने भारी नुकसान पहुंचाया. लोग घरों के बाहर टेंट गाड़े रह रहे हैं. प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने तीन दिन का शोक घोषित करते हुए कहा कि सरकार पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है. दुनिया भर से आ रही राहत सामग्री के बावजूद भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. परिवार टेंट में ही खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं, वहीं खाना बना रहे हैं और खुले में शौच जा रहे हैं.
नेपाल में आए भयानक भूकंप से देश की सांस्कृतिक धरोहरों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. काठमांडू घाटी में कुछ ही किलोमीटर के अंदर यूनेस्को की सात विश्व धरोहर हैं. भक्तपुर, पाटन और काठमांडू के शाही शहरों में 12वीं से 18वीं सदी के कई मंदिर और मूर्तियां या तो नष्ट हो गईं या उन्हें भारी नुकसान हुआ.
ड्रोन के जरिए लिए गए वीडियो में नेपाल में हुए नुकसान का हवाई मंजर दिखाया गया है. भूकंप प्रभावित इलाकों में घरों में दरारें पड़ने के कारण उनमें वापस जाना भी खतरे से खाली नहीं.
दुनिया भर से सहायता दल मदद के लिए खाने पीने और राहत सामग्री के साथ पहुंच रहे हैं. लेकिन अब भी अंदरूनी इलाकों के कई ऐसे गांव हैं जहां तक मदद नहीं पहुंच पाई है. भारत ने नेपाल में भूकंप प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने और राहतकार्य के लिए ऑपरेशन मैत्री के तहत अपनी टीम भेजी है. भारतीय सेना टनों खाने के सामान, कंबल और अन्य चिकित्सकीय मदद के साथ नेपाल में तैनात है. सोशल मीडिया पर लोग बढ़चढ़ कर सेना के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन भी लगातार चिकित्सकीय मदद नेपाल भेज रहा है. संगठन का कहना है कि भूकंप प्रभावित इलाकों में गांवों में संक्रमण का खतरा है.