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नेपाली कामगारों के अफगानिस्तान जाने पर रोक हटी

२१ अक्टूबर २०१६

नेपाल अब अपने नागरिकों को काम के लिए युद्ध से तबाह देश अफगानिस्तान जाने देगा. जून में काबुल में तालिबान के एक हमले में 13 नेपाली सुरक्षा गार्डों की मौत के बाद सरकार ने कामगारों के अफगानिस्तान जाने पर पाबंदी लगा दी थी.

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Human Rights Watch - nepalesische Arbeiter in Katar
तस्वीर: Sam Tarling

रोक हटाने की घोषणा करते हुए नेपाली श्रम मंत्रालय के प्रवक्ता गोविंद मणि भुरतेल ने कहा कि नेपाल सरकार लोगों को अफगानिस्तान जाने की अनुमति तभी देगी, जब उन्हें नौकरी देने वाली कंपनी या संस्था वहां उनके रहने, यात्रा और काम करने के लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम करेगी. उन्होंने बताया, "हम सिर्फ (काबुल के) सुरक्षित समझे जाने वाले ग्रीन जोन में स्थित विदेशी मिशनों और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में अपने लोगों को काम करने की इजाजत देंगे."

उन्होंने कहा. "कंपनी या संस्था को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी." भुरतेल ने कहा कि सीरिया, इराक या लीबिया जैसे अन्य देशों में भी नेपाली कामगारों के जाने पर अब भी प्रतिबंध है. इसी साल जून में काबुल स्थित कनाडा दूतावास में काम करने वाले 13 नेपाली गार्ड उस समय मारे गए जब वो एक बस में जा रहे थे.

ये हैं दुनिया के सबसे भूखे देश

नेपाल दुनिया के सबसे गरीब 10 देशों में से एक है. वहां से बड़ी संख्या में लोग मलेशिया, दक्षिण कोरिया और खाड़ी देशों में मजदूरी के लिए जाते हैं. वहां वो सुरक्षा गार्ड, ड्राइवर, घरेलू नौकर या फिर निर्माण क्षेत्र में मजदूर के तौर पर काम करते हैं. नेपाल से बड़ी संख्या में काम करने के लिए लोग भारत भी जाते हैं.

विदेशों से कामगार जो पैसा भेजते हैं, वो देश के सालाना सकल घरेलू उत्पाद का 30 फीसदी के बराबर होता है. नेपाल में कई बरसों तक चला गृह युद्ध 2006 में खत्म हो गया. लेकिन इसके बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण नौकरियों के पर्याप्त अवसर पैदा नहीं हुए हैं. इसके अलावा नेपाल में पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप के बाद देश के सामने पुनर्निर्माण की चुनौती भी है. इस भूकंप में नौ हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे.

एके/एमजे (रॉयटर्स)

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