नेतन्याहू से नाराज अमेरिकी प्रशासन
३ मार्च २०१५अमेरिका की दोनों राजनैतिक पार्टियों ने आपसी मतभेदों के बावजूद हमेशा इस्राएली नेताओं का वॉशिंगटन में भव्य स्वागत किया. 2011 में प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिकी संसद को संबोधित किया तो डेमोक्रैटिक और रिपब्लिकन पार्टी के 29 सदस्यों ने खड़े होकर उनके भाषण का इस्तकबाल किया.
लेकिन इस बार माहौल अलग है. एक दर्जन से ज्यादा नेता मंगलवार को नेतन्याहू के भाषण का बहिष्कार करने वाले हैं. इनमें ज्यादातर नेता सत्ताधारी डेमोक्रैटिक पार्टी के हैं. उपराष्ट्रपति जो बाइडेन अचानक दक्षिण अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं तो राष्ट्रपति बराक ओबामा नेतन्याहू से मिलने से इनकार ही कर चुके हैं.
राजनैतिक साझेदारी
विवाद जनवरी में शुरु हुआ जब अमेरिकी कांग्रेस के स्पीकर जॉन बोएह्नर ने नेतन्याहू को संसद को संबोधित करने का न्योता दिया. विषय था, "कट्टरपंथी इस्लाम और ईरान से हमारी सुरक्षा और हमारे जीने के तरीके को खतरा." असल में रिपब्लिकन बोएह्नर ने न्योता भेजने से पहले व्हाइट हाउस को सूचित नहीं किया था. स्पीकर ने ओबामा की यूनियन स्पीच की आलोचना की और कहा कि उसमें इस्लामिक कट्टरपंथ के खतरे पर बहुत ही कम ध्यान दिया गया. बोएह्नर को लगा कि इस कमी को नेतन्याहू पूरा करेंगे इसीलिए उन्होंने नेतन्याहू को न्योता भेजा. अमेरिका में सदन के स्पीकर का ओहदा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद आता है.
बोएह्नर के इस कदम से राष्ट्रपति बराक ओबामा और डेमोक्रैट नाराज हैं. नेतन्याहू इस्राएल में होने वाले संसदीय चुनाव से दो हफ्ते पहले अमेरिकी संसद को संबोधित करने जा रहे हैं. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सुजान राइस के मुताबिक न्योता राजनीतिक साझेदारी से प्रेरित है. राइस ने इसे अमेरिका और इस्राएल को संबंधों को ठेस पहुंचाने वाला कदम भी बताया.
डेमोक्रैटिक पार्टी के कई नेताओं को लग रहा है कि नेतन्याहू संबोधन का इस्तेमाल अपने देश में होने वाले चुनावों के लिए करेंगे. इस्राएली प्रधानमंत्री भी इस बात के साफ संकेत दे चुके हैं कि वो ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुद्दा अमेरिकी संसद के सामने उठाएंगे.
बातचीत में खलल डालने की कोशिश
अमेरिकी पक्ष और ईरान के वरिष्ठ अधिकारी तेहरान के परमाणु कार्यक्रम के शांतिपूर्ण हल के लिए दूसरे दौर की चर्चा कर रहे हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ इस मुद्दे पर चर्चा के लिए स्विट्जरलैंड में मिले. मंगलवार सुबह दो घंटे तक चली बातचीत के बाद केरी ने कहा, "हम सही ढंग से आगे बढ़ रहे हैं." अमेरिका, ईरान और अन्य वैश्विक ताकतें मार्च के अंत तक किसी समझौते पर पहुंचना चाहती हैं.
नेतन्याहू का आरोप है कि वॉशिंगटन ईरान को ढील दे रहा है और इसकी कीमत इस्राएल को भुगतनी पड़ेगी. अमेरिकी प्रशासन पर नेतन्याहू का दबाव साफ दिखाई पड़ रहा है. सोमवार को ओबामा ने कहा कि किसी भी समझौते से पहले ईरान को अपनी परमाणु गतिविधियां एक दशक तक निलंबित करनी होंगी. ईरानी विदेश मंत्री के मुताबिक वो ओबामा की दुविधा समझ रहे हैं.
स्पेंसर किमबॉल/ओएसजे (एपी, डीपीए)