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निर्भया: दो साल बाद दोबारा महिलाओं में भय का माहौल

१६ दिसम्बर २०१४

ऑटोवालों के लिए आयोजित जेंडर सेंसिटिविटी क्लास में 150 अधेड़ उम्र के चालकों ने भाग लिया और सड़कों पर चलते हुए महिलाओं की इज्जत और उनकी रक्षा करने की कसम खाई. दो साल पहले निर्भया से दिल दहलाने वाला बलात्कार कांड हुआ था.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

ट्रेनिंग के दौरान ट्रेनर नम्रता शरण ऑटोवालों से कहती हैं, "क्या आपको पता है कि महिलाओं को देखकर सीटी बजाना या फिर घूरना भी अपराध है?" जेंडर सेंसिटिविटी की ट्रेनिंग में नम्रता उन्हें बताती हैं कि इस तरह की हरकतों को यौन उत्पीड़िन के तौर पर लिया जा सकता है.

दो साल पहले दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा निर्भया के साथ दरिंदों ने सारी हदें पार कर दी थीं. उस घटना के बाद भारत ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश भड़का था, जिसके बाद दुनिया भर में भारत में महिलाओं के साथ होने वाले बर्ताव पर बहस छिड़ गई. महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध से जुड़े कानून को अधिक कठोर बना दिया गया जिससे भविष्य में बलात्कारियों को रोका जा सके.

लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि दिल्ली में ऊबर कैब ड्राइवर द्वारा कथित बलात्कार को अंजाम देनी वाली घटना यह बताती है कि निर्भया कांड के दो साल बाद भी देश को अभी और रास्ता तय करना है. निर्भया के पिता कहते हैं, "16 दिसंबर को जो हुआ वह एक नया मोड़ था." फिजियोथेरेपी की छात्रा रही निर्भया की गहरे जख्मों के कारण मौत हो गई थी. निर्भया के पिता का कहना है, "जिस तरह के विरोध प्रदर्शन हुए, कानून बदले गए. इन सब चीजों ने हमें यकीन दिलाया कि बदलाव हो रहा है लेकिन ये सब सिर्फ ख्याली पुलाव था. ऊबर का मामला दिखाता है कि शहर अब भी बहुत असुरक्षित है."

सुरक्षा की मरीचिका

अमेरिकी कंपनी ऊबर के ड्राइवर द्वारा कथित बलात्कार की घटना के बाद दिल्ली में वेब और रेडियो टैक्सी पर निर्भर रहने वाली महिलाएं, खासकर नौजवान शहरी पेशेवर अपनी सुरक्षा का दोबारा मूल्यांकन कर रही हैं. जीपीएस तकनीक, स्मार्टफोन के साथ इस्तेमाल में आसानी और सुरक्षा के वादे के साथ टैक्सी सेवाओं ने हाल के सालों में महिलाओं को आजादी का एहसास दिलाया है. इससे पहले महिलाएं दिल्ली या फिर किसी और शहर में इस तरह का अनुभव नहीं कर सकती थीं. टीवी पत्रकार सुनेत्रा चौधरी ने अपने ब्लॉग में लिखा, "कुछ सालों तक, दिल्ली में हम पेशेवर महिलाएं रेडियो टैक्सियों द्वारा मुहैया सुरक्षा की मृगतृष्णा में जी रही थीं. हम सभी को इस विचार से प्यार था कि जब कभी भी हमें देर होगी तो हम ऐसे समूह को भुगतान कर सकेंगे जो हमारे दफ्तर, दोस्त के घर, क्लब से हमें सुरक्षा के साथ वहां पहुंचा दे जहां हमें जाना है. ऊबर बलात्कार कांड ने मेरी बाहर निकलने और एक व्यस्क के रूप में शहर को जानने की इच्छा का कत्ल कर दिया है."

"नहीं हैं सुरक्षित"

बैंक में काम करने वाली 28 साल की सोनम बहरी कहती हैं, "मर्द आपकी तरफ घूरते हैं, छूने की कोशिश करते हैं. आपको हर वक्त और हर तरफ देखना पड़ता है और सुरक्षित रहना पड़ता है." दूसरे लोग इस बात पर गुस्से में हैं कि ऊबर स्पष्ट तौर पर उस ड्राइवर की पृष्ठभूमि जांचने में विफल रहा जिसपर कथित बलात्कार का आरोप है. आईटी उद्योग में काम करने वाली 27 साल की मिताली गुप्ता कहती हैं, "मुझे झटका लगा क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं थी ऊबर जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी का इस तरह का लापरवाह रवैया होगा." ऊबर ड्राइवर द्वारा कथित बलात्कार के बाद सरकार ने ऊबर की सेवा पर रोक लगा दी है जबकि ड्राइवर हिरासत में है.

देश भर में यौन उत्पीड़न के मामलों में तेजी से उछाल आया है. 2013 में देश में बलात्कार के 33,707 मामले दर्ज हुए थे. यह संख्या 2012 की तुलना में 35.2 फीसदी अधिक थी. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि दूसरे शहरों के मुकाबले दिल्ली में अधिक मामले सामने आए हैं. परिवहन विभाग और गैर लाभकारी संगठन मानस की तरफ से ऑटो वालों के लिए आयोजित ट्रेनिंग क्लास में 2012 के बलात्कार कांड के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों की तस्वीरें दिखाई गईं तो वहां सन्नाटा पसर गया. ऑटो ड्राइवर विमल दास कहते हैं, "मुझे बहुत शर्म आई."

एए/एसएफ (एएफपी)